गोपाल कृष्ण गोखले महात्मा गांधी के राजनैतिक गुरु, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मार्ग दर्शकों में से एक थे. गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के कोथापुर में हुआ था. यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे. 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के नौ वर्ष बाद गोखले का जन्म हुआ था. गोखले का राजनीति में पहली बार प्रवेश 1888 ई. में इलाहाबाद में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में हुआ.
गोपाल कृष्ण गोखले पर महादेव गोविंद रानाडे का प्रभाव था. उन्होंने एक बार कहा था मैं रानाडे साहब के साथ मिलकर गलत काम करके भी संतुष्ट हूं, पर उनसे अलग होकर मैं कोई काम नहीं करूंगा. बता दें कि रानाडे गोपाल कृष्ण गोखले के गुरु थे और गांधी जी उन्हें अपना गुरू मानते थे. गोखले एक ऐसे राजनैतिक विचारक थे जो राजनीति में अध्यात्मिक अवधारणा लेकर आए हुए थे. गोखले पहले व्यक्ति थे जिन्होंने स्वदेशी विचार पर ज़ोर दिया.
गोपाल कृष्ण गोखले हिंदू,मुस्लिम एकता को भारत के लिए कल्याणकारी मानते थे. उनका कहना था कि बहुसंख्यक होने और शिक्षा की दृष्टि से उन्नत होने के कारण हिंदुओं का कर्तव्य है कि सामान्य राष्ट्रीयता की भावना विकसित करने में अपने मुस्लिम भाइयों कि सहायता करे. जिन्ना को वे हिंदू,मुस्लिम भाईचारे का सबसे बड़ा पैरोकार मानते थे. गांधी जी के साथ-साथ गोखले जिन्ना के भी राजनैतिक गुरु थे. बाद में गोपाल कृष्ण गोखले मधुमेह, दमा जैसी कई गंभीर बीमारियों से परेशान रहने लगे थे. जिसके बाद 19 फरवरी, 1915 ई. को मुम्बई, महाराष्ट्र में उन्होंने अपना देह त्याग दिया.