आज है गोवर्धन पूजा, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

आज है गोवर्धन पूजा, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
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दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। आप सभी को बता दें कि गोवर्धन पूजा या अन्न कूट का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं। ऐसे में इस पर्व की खास रौनक मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव में नजर आती है। धार्मिक मान्यताओं को देखे तो भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था। आपको बता दें कि इस पर्व पर गौ माता की पूजा की जाती है जिसका सबसे अधिक महत्व है। अब हम आपको बताते हैं गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा।


गोवर्धन पूजा 2021 मुहूर्त:
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:36 AM से 08:47 AM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:22 PM से 05:33 PM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 11:14 PM बजे

गोवर्धन पूजा विधि: इस दिन घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसे फूलों से सजा लें। अब गोवर्धन पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति बनाए। इसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख लें। अब इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन करें। आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा सुबह या फिर शाम के समय की जाती है। इस पूजन के समय गोवर्धन पर धूप, दीप, जल, फल, नैवेद्य चढ़ाते हैं। इसी के साथ तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। वहीं इसके बाद गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनी जाती है और प्रसाद सभी में वितरित करना होता है। इसी के साथ इस दिन गाय-बैल और खेती के काम में आने वाले पशुओं की पूजा होती है। आप पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोले और ध्यान रहे परिक्रमा हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए करें।

गोवर्धन पूजा कथा: हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब इंद्र ने अपना मान जताने के लिए ब्रज में तेज बारीश की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की मूसलाधार बारिश से रक्षा की थी। जब इंद्रदेव को इस बात का ज्ञात हुआ कि भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं तो उनका अहंकार टूट गया। इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी। गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी गोप-गोपियाँ, ग्वाल-बाल, पशु-पक्षी सुख पूर्वक और बारिश से बचकर रहे। कहा जाता है तभी से गोवर्धन पूजा मनाने की शुरुआत हुई।

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