नई दिल्लीः देश में उर्वरक की जबरदस्त मांग रहती है। बीते पांच सालों में सरकार द्वारा इसकी सप्लाई लाइन दुरूस्त करने के बाद अब इसके लिए वैसी मारामारी नहीं रहती जैसे पहले हुआ करती थी। केंद्र सरकार ने उर्वरक निर्माण में एक और कदम उठाया है। सरकार कोयले के गैसीकरण से मिले सिनगैस से उर्वरक बनाने के लिए एक चीनी कंपनी Wuhuan इंजीनियरिंग को ठेका दिया है। यह संयत्र उड़ीसा में FCIL की तालचेर उर्वरक लिमिटेड में स्थापिकत किया जाएगा।
तालचेर संयत्र में हर साल 12.7 लाख टन यूरिया और 7.3 लाख टन अमोनिया का उत्पादन होगा। केंद्र सरकार की ओर से चीनी कंपनी को 13,277 करोड़ की इस परियोजना का आवंटन पत्र दिया गया है। इस संयंत्र में सालाना 12.7 लाख टन यूरिया और 7.3 लाख टन अमोनिया का उत्पादन होगा। कहा जाता है कि चीनी कंपनियां कोयले का गैसीकरण कर उससे निकली सिनगैस से उर्वरक बनाने में काफी आगे हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि तालचेर संयंत्र में सितंबर 2023 तक उर्वरक का उत्पादन शुरू हो जायेगा।
इस संयत्र में पहले चरण में यूरिया का उत्पादन होगा और उसके बाद यहाँ उत्पादित हुई सिनगैस को भी बेचा जा सकेगा। तालचेर संयंत्र को कोयला 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित खदान से मिलेगा और पारादीप से पेटकोक मंगाया जाएगा। सरकार के मुताबिक इस संयंत्र से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
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