भारत में कोरोना वायरस के दौरान बड़े पैमाने पर साइबर हमलों की कोशिश की गई। विशेष रूप से बैंकिंग सेक्टर हैकरों के निशाने पर रहा। वित्त के अतिरिक्त, रक्षा, दूरसंचार तथा रेलवे जैसे डिपार्टमेंट भी हैकर्स के निशाने पर थे। ऑनलाइन लेनेदेन में बढ़ोतरी के चलते नागरिक फिशिंग तथा स्पैमिंग की वजह से खूब साइबर हमले की कोशिश होती रही है। वही सेंट्रल गवर्मेंट की एजेंसियों को वक़्त रहते हैकर्स का पता चल गया था। इस कारण इंडियन साइबर स्पेस में विभिन्न साइबर हमलों को ट्रैक किया जा सका।
वही इंडियन कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन) के डायरेक्शन में 49 मॉक ड्रिल ऑर्गनाइस की गईं। इस कार्यवाही में विभिन्न मंत्रालयों एवं प्रदेशों के 434 संगठनों को सम्मिलित किया गया। तब कहीं जाकर व्यक्तियों के बैंक अकॉउंट खाली होने से बचे तो वहीं दूसरी तरफ अहम और संवेदनशील जानकारियां हैकर्स के हाथ में जाने से बचाई जा सकीं। साथ ही तकनीकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री संजय धोत्रे के मुताबिक, कोरोना के दौरान, भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन) ने सक्रिय तौर पर काम किया है।
इसके साथ-साथ इंडियन साइबर स्पेस में विभिन्न साइबर हमलों को ट्रैक किया गया है। सर्ट-इन ने वेब कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर का सुरक्षित इस्तेमाल, मोबाइल यंत्रों तथा ऐप्स को सुरक्षित करना, वर्चुअल निजी नेटवर्क का सुरक्षित उपयोग तथा वर्क फ्रॉम होम को लेकर विशेष सुरक्षा बरती है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सुरक्षा उपाय, बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा, लोकप्रिय एप एवं सेवाओं से होने वाले विभिन्न फिशिंग हमला अभियानों तथा कोरोना महामारी की वजह से खतरे की स्थिति के दौरान सुरक्षित तौर पर व्यवसाय निरंतरता का मेनेजमेंट करने इत्यादि जैसे विभिन्न विषयों पर 23 परामर्शी निर्देश जारी किए गए। इसी के साथ उचित ध्यान रखना अतिआवश्यक है।
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