नई दिल्ली: बांग्लादेश में जारी हिन्दू विरोधी हिंसा के बीच, मोदी सरकार ने ‘बिजली निर्यात नियमों’ में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब अडानी पावर का झारखंड स्थित कोयला आधारित पावर प्लांट, जो पहले केवल बांग्लादेश को बिजली बेच सकता था, भारत को भी बिजली बेच सकेगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर दबाव बनाया जा सके, जो वहाँ हो रहे हिंदुओं पर हमलों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह फैसला अडानी पावर को बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति से उत्पन्न जोखिम से बचाने के उद्देश्य से भी लिया गया माना जा रहा है, जहाँ अराजकता फैली हुई है। हालांकि, इस पर कांगेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाए हैं और इसकी आलोचना की है।
दरअसल, 12 अगस्त 2024 को बिजली मंत्रालय द्वारा जारी एक मेमो में, 2018 के उन दिशानिर्देशों में संशोधन की घोषणा की गई, जो पड़ोसी देशों को बिजली की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को नियंत्रित करते हैं। नए नियमों के अनुसार, अगर कोई पावर स्टेशन अपनी पूरी बिजली नहीं बेच पा रहा है या भुगतान में देरी हो रही है, तो भारत सरकार उसे भारतीय ग्रिड से जोड़ने की अनुमति देगी, ताकि वह देश के भीतर बिजली बेच सके। इस समय, भारत में ऐसा एक ही संयंत्र है—अडानी पावर का गोड्डा पावर प्लांट, जो बांग्लादेश को 800 मेगावाट बिजली बेच रहा है। यह करार 2017 में बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ हुआ था। उस समय भी इस समझौते पर सवाल उठे थे, और अब जब इसे लेकर संशोधन किया गया है, तो भी विवाद जारी है।
जयराम रमेश ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने ट्वीट में कहा कि अडानी झारखंड में बिजली उत्पादन के लिए ऑस्ट्रेलिया से कोयला आयात करता है और यह कंपनी बिजली खरीद समझौते के माध्यम से ऐसा करने वाली एकमात्र कंपनी है। अब, इसे भारत में भी बिजली बेचने की अनुमति दी गई है, जिससे अडानी को और मुनाफा होगा। रमेश ने इसे मोदी सरकार के समर्थन से जुड़ा मामला बताया।
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