नई दिल्ली : जल्द ही अस्पताल में इलाज करना सस्ता हो सकता है.इसके लिए केंद्र सरकार दवाओं और इलाज में काम आने वाली दूसरी चीजों की मुनाफाखोरी को रोकने के तरीकों पर विचार कर रही है. बीमा उद्योग और औषधि नियामक संस्था नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के बीच इसे लेकर सहमति बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं.यदि यह कार्य हो गया तो बीमा कंपनियों के हेल्थ इन्श्योरेंस क्लेम के मद में होने वाले खर्च बचेगा और आम मरीजों को भी लाभ होगा.
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मैक्स अस्पताल द्वारा एक लड़की के इलाज में सीरिंज की कीमत 500 फीसदी तक ज्यादा लेने के मामले के बाद इसकी जरूरत ज्यादा महसूस की जाने लगी है. इस बारे में जनरल इन्श्योरेंस काउंसिल के सेक्रेटरी जनरल एम चंद्रशेखरन ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिख कर एनपीपीए के साथ उनकी बैठक कराने की बात कही है.उनके अनुसार एनपीपीए के साथ्ा मिल कर ऐसी व्यवस्था तैयार कर सकते हैं, जिससे हाल में हुई मैक्स जैसी घटनाओं पर रोक लग सकें.
बता दें कि इस बारे में चंद्रशेखरन ने बताया कि एनपीपीए ने स्टेंट और दूसरी दवाओं की कीमतों को कम करने की कोशिश है, लेकिन अब भी ऐसी बहुत सी दवाएं और सामग्री हैं जिस पर अस्पताल बहुत ज्यादा कीमत वसूलते हैं. बीमा कंपनियों के पास क्लेम सेटेलमेंट में एनपीपीए इन दवाओं के बिल देख पता कर सकता है कि अस्पताल ने दवाओं की जो कीमत वसूली है वह सही या नहीं.एम चंद्रशेखरन 2018 में लोगों को सस्ता हेल्थ इन्श्योरेंस कवर उपलब्ध कराना चाहते हैं ,ताकि बीमा कंपनियों की हेल्थ इन्श्योरेंस क्लेम के मद में आने वाली लागत कम की जा सके .
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