काबुल: अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान की सरकार को चुनौती देने के लिए कथित तौर पर अमरुल्लाह सालेह के नेतृत्व में निर्वासित सरकार का गठन हुआ है। सालेह इस सरकार के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने हैं। उन्होंने अभी तक नॉर्दर्न एलायंस के साथ मिलकर पंजशीर घाटी से तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था।
स्विट्जरलैंड में अफगान दूतावास द्वारा जारी एक बयान के हवाले से मीडिया ने बताया कि, अमरुल्लाह सालेह की अगुवाई वाली निर्वासित सरकार अफगानिस्तान में एकमात्र ‘वैध सरकार’ है। तालिबान की तरफ इशारा करते हुए कहा गया है कि कोई भी अन्य सरकार वैध सरकार को स्थानांतरित नहीं कर सकती। बयान में कहा गया है कि अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद निर्वासित सरकार का गठन लंबे परामर्श के बाद किया गया है, ताकि तालिबान को चुनौती दी जा सके। निर्वासित सरकार सालेह की अगुवाई में कार्य करेगी। वह कार्यपालिका और न्यायपालिका को साथ लेकर चलेंगे।
बता दें कि इस बयान में अमरुल्लाह सालेह के अतिरिक्त और किसी सदस्य के संबंध में नहीं बताया गया है। किन्तु, ये पता है कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमरुल्लाह सालेह अफगान के कुछ सुरक्षा बलों के साथ पंजशीर चले गए थे और वहीं से तालिबान के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। अशरफ गनी प्रशासन के राजनीतिक नेताओं द्वारा जारी किए गए बयान में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान इस्लामिक गणराज्य के तमाम दूतावास और वाणिज्य दूतावास दिन-प्रतिदिन के संचालन को जारी रखेंगे।
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