इंदौर/ब्यूरो। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा 2018 के बाद से किसी भी भर्ती को पूरा नही किया गया है। छात्र लगातर 2019 से परीक्षाएं दे रहे लेकिन आयोग जारी नही कर रहा किसी भी परीक्षा का परिणाम। ओबीसी आरक्षण मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुचने से छात्रों की मांग है कि जबलपुर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया उसके अनुसार मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग परीक्षा प्रक्रिया आगे बढ़ा सकता है। हाईकोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि उसने किसी भी भर्ती प्रक्रिया को नही रोका है आयोग चाहे तो अंतरिम आदेश का पालन करते हुए परीक्षाएं आयोजित करवा सकता है।
युथ कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जावेद खान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार बेरोजगारों का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक शोषण कर रही है। 4 साल से किसी परीक्षा का परिणाम जारी नही किया गया इससे छात्रों में आक्रोश है और अब वह आक्रोश सड़कों पर नजर आएगा।
जावेद जी ने बताया कि उन्होंने पूर्व में आयोग को आवेदन देकर चेतावनी दी थी कि 1 सप्ताह में यदि परिणाम जारी नही किये तो महाआंदोलन होगा, परिणाम जारी नही हुए इसलिए हम 19 सितंबर से MPPSC के छात्रों के साथ मैदान में लड़ेंगे और जब तक उनके परिणाम जारी नही होंगे तब तक लड़ते रहेंगे।
छात्रों की मांग है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई निर्णय नही देता तब तक जबलपुर हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का पालन किया जाए। छात्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ पीएससी का केस बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण के कारण बिलासपुर हाईकोर्ट पहुँचा था लेकिन हाईकोर्ट का फैसला आने तक हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए पूर्व निर्धारित आरक्षण प्रकिया के आधार पर परीक्षाएं आयोजित करने का अंतरिम आदेश दिया था। हाईकोर्ट के निर्देश पर अंतरिम आदेश का पालन करते हुए CGPSC ने 2019 से 2022 तक कि सभी परीक्षाएं करवा ली तो MPPSC को भी अंतरिम आदेश के तहत परीक्षाएं आयोजित कर बेरोजगारों को नियुक्ति देकर रोजगार देना चाहिए। बता दें कि MPPSC द्वारा 2019 में 571 पद, 2020 में 260 पद और 2021 में 290 पदों पर परीक्षा आयोजित करवाई गई लेकिन नियुक्ति अभी तक शून्य है।
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