नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने का बाद चर्चा के केंद्र में सबसे अधिक कश्मीर है। जम्मू और लद्दाख में स्थिति सामान्य हैं। कश्मीर शुरू से संवेदनशील रहा है। धारा 370 यहां एक भावनात्मक मुद्दा रहा है। ऐसे में सरकार के इस निर्णय से वहां कई तरह की आशंकाएं पैदा हो गई है। केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद वहां जल्द चुनाव कराए जाने के आसार नजर नहीं आ रहे। सरकार पहले वहां के लोगों का दिल जीतना चाहती है। सरकार की योजना चुनाव से पहले पंचायतों केअधिक से अधिक अधिकार देने के साथ विकास कार्य में उसकी सहभागिता बढ़ाने की है। पंचायतों के जरिए राज्य के लोगों की बुनियादी समस्या खत्म करने की है।
इस कड़ी में उज्जवला, आयुष्यमान, हर घर बिजली-पानी जैसी योजना को पंचायत के माध्यम से परवान चढ़ाने की है। इसके अलावा पंचायतों को सीधे भेजी जाने वाली राशि में भी भारी बढ़ोत्तरी होगी। इसी कड़ी में सरकार की योजना राज्य में व्यापक स्तर पर रोजगार के मौके बढ़ाने की है। इसके अनुसार सरकारी पीएसयू, सेना और अर्द्घसैनिक बदलों में घाटी के लोगों केा प्राथमिकता के आधार पर नौकरी दी जाएगी।
इसी दौरान सूबे के दशकों से लंबित सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं को जमीन पर उतारा जाएगा। सरकार इसके जरिए संदेश देगी कि केंद्र सरकार का फैसला राज्य के लोगों की बेहतरी के लिए लिया गया है। सरकार अपने इस फैसले के बाद हर कदम सोच समझकर उठा रही है। इस कड़ी में पीएम मोदी, गृह मंत्री शाह और सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री वहां के लोगों के साथ संवाद स्थापित करेंगे। एनएसए अजित डोभाल इसी सिलसिले में पिछले कई दिनों से कश्मीर में रूके हैं।
धारा 370 हटने से अलगाववादियों और आतंकियों को लगी चोट, लेकिन चीखें कांग्रेस की निकल रहीं
कांग्रेस नेताओं को उम्मीद, पार्टी की डूबती नैया को पार लगाएंगी सोनिया