नई दिल्ली: बैंकों में होने वाले घोटालों से बचने के लिए सरकार ने एक नया कदम उठाया है, सरकार ने सार्वजनिक बैंकों को 45 दिनों के भीतर ऐसे सभी कर्जदारों का पासपोर्ट का ब्योरा लेने को कहा है जिन्होंने 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज ले रखा है. इस पहल का मकसद धोखाधड़ी करने वाले नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोगों को देश छोड़कर भागने से रोकना बताया जा रहा है.वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक बैंकों को कहा गया है कि, अगर कर्जदार के पास पासपोर्ट नहीं है तो इस स्थिति में बैंक को घोषणापत्र के रूप में प्रमाणपत्र लेना होगा. इसमें यह जिक्र होगा कि संबंधित व्यक्ति के पास पासपोर्ट नहीं है.
गौरतलब है कि, पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल ने भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक को मंजूरी दे दी. नीरव और चोकसी के पीएनबी के साथ 12,700 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के बाद सरकार की ओर से कदम उठाने में तेजी आई है. बैंकों को साफ-सुथरा बनाने के प्रयास के तहत वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उन सभी फंसे कर्ज वाले खातों की जांच करने को कहा था जिन पर बकाया 50 करोड़ रुपये से अधिक है.
साथ ही इससे जुड़े मामले के अनुसार इसकी सूचना सीबीआई को देने को कहा था. इसका मकसद धोखाधड़ी की आशंका का पता लगाना है. इसके अलावा मंत्रालय ने बैंकों से 250 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज पर नजर रखने को कहा है. साथ ही कर्ज की शर्तों का उल्लंघन होने पर तुंरत एहतियाती उपाय करने को कहा है.
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