नई दिल्ली - केंद्र सरकार के विचारक नीति आयोग का दावा है कि 500 और 1000 रूपये की नोटबंदी से चार लाख करोड़ रूपये के कालेधन और अघोषित आय का खुलासा होगा. नोटबन्दी से दो लाख करोड़ से ज्यादा के नोट बैंकों में जमा नहीं होंगे, जबकि लोगों द्वारा घोषित दो लाख करोड़ की गैरकानूनी आय पर कानून के तहत कार्रवाई होगी. इससे देश में मुद्रा के रूप में जमा 25 प्रतिशत काली कमाई पर अंकुश लगेगा.
इस सम्बन्ध में नीति आयोग के सदस्य और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री विवेक देबरॉय का तर्क है कि देश में कुल मुद्रा 16.4 लाख करोड़ है. जिसमें से 500 और 1000 के नोट 14.2 लाख करोड़ के हैं. चलन में इनका औसत करीब 8 से सवा आठ लाख करोड़ का था और शेष घर में जमा, कालाधन और अघोषित आय के तौर पर दो-2 लाख करोड़ के औसत में है. शेष दो या सवा दो लाख करोड़ के नोट जो कालाधन है, वह बैंकों में जमा नहीं होगा. शेष दो लाख करोड़ ऐसा है जिस पर लोगों ने कर नहीं चुकाया है. वह भी सामने आएगा. वास्तविकता का खुलासा सरकार द्वारा अगले वित्तीय वर्ष से पहले कर देगी.
बता दें कि देबरॉय ने इस बात को तो स्वीकार किया कि प्लास्टिक मनी और डिजिटल लेनदेन पर सौ प्रतिशत सुरक्षित नहीं होता. लेकिन डिजिटल लेनदेन में गड़बड़ी साबित होने पर बैंक से मुआवजा और पूर्ण राशि वापस ली जा सकती है ,जबकि नोट गिरने, चोरी होने पर कोई वापसी नहीं होती. सरकार इसीलिए प्लास्टिक मनी को बढ़ावा दे रही है, क्योंकि यह बेहतर और ज्यादा सुरक्षित है.
वहीं नोटबंदी से भविष्य में कालाधन एकत्र नहीं होने की गारंटी के बारे में देबरॉय ने कहा कि यह धारणा पूरी तरह से गलत है. भविष्य में लोग कालाधन देश या विदेश में नहीं जमा कर पाए.इसके लिए सरकार विभिन्न स्तरों पर पिछले ढाई साल से कदम उठा रही है.सभी कुछ कालेधन पर अंकुश लगाने के तहत किया गया है.नोटबंदी से जितने कालेधन पर अंकुश लगेगा. उतने का इस्तेमाल विकास या देश की उन्नति के कार्यों में किया जाएगा.