नई दिल्ली : चीन के वर्तमान हालातों और पाकिस्तान की हरकतों से विपक्ष को रूबरू कराने के लिए सरकार द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई सर्व दलीय बैठक में जहाँ सरकार ने विस्तार से चीन के साथ चल रहे विवाद और अमरनाथ यात्रियों पर हमले की जानकारी दी. वहीं विपक्षी दलों ने भी देश की अखंडता के लिए एकजुटता दिखाई.
उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर तीन घंटे चली इस सर्वदलीय बैठक में गृह सचिव ने अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के बारे में विस्तार से बताया.वहीं चीन के साथ डोकलाम में चल रहे विवाद पर विदेश सचिव एस जयशंकर ने वहां के हालात से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि इस जगह पर चीन की घुसपैठ भारत के लिए किस तरह खतरनाक साबित हो सकती है.उत्तर-पूर्व में 'चिकन नेक' के करीब पहुंच बनाने की चीन की रणनीति और उसके दुष्परिणाओं पर भी विस्तार से चर्चा की.सरकार की तरफ से तीनों मंत्रियों ने विपक्षी नेताओं को चीनी घुसपैठ के खिलाफ भारतीय सेना के कदमों की जानकारी दी.
बता दें कि अमरनाथ यात्रियों पर हमले की घोर निंदा कर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार से कहा किकश्मीर में बातचीत के दरवाजा बंद नहीं करने चाहिए.कश्मीर समस्या का हल बंदूक के दम पर नहीं निकल सकता, इसके लिए बातचीत जरुरी है.कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने सरकार को चीन के साथ सीमा पर तनाव घटाने के लिए कूटनीतिक तरीकों के इस्तेमाल पर जोर देने को कहा, वहीं कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि माना. सभी विपक्षी नेताओं ने कहा कि भारत की सीमा सुरक्षा को लेकर उठाए जा रहे हर कदम में वह सरकार के साथ हैं.
गौरतलब है कि इस बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री अरुण जेटली, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश सचिव और गृह सचिव भी शामिल हुए. वहीं विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और आनंद शर्मा ने बैठक में शामिल हुए. वहीं जेडीयू, लेफ्ट, एआईडीएमके, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजम समाज पार्टी समेत 14 पार्टियों के 19 नेता भी उपस्थित थे. विपक्षी दलों का विश्वास जीतने की इस कोशिश में सरकार सफल रही.
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