बंद हुए पुराने नोटों को जमा करने से सरकार ने किया इंकार

बंद हुए पुराने नोटों को जमा करने से सरकार ने किया इंकार
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नई दिल्ली : नोटबंदी के दौरान बंद हुए पांच सौ और हजार के पुराने नोट जमा कराने से चुके लोग यदि एक और मौका मिलने का सोच रहे हैं तो वे गलत सोच रहे हैं , क्योंकि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दाखिल हलफनामे में कहा है कि पुराने नोट जमा कराने के लिए और मौका नहीं दिया जा सकता , क्योंकि ऐसा करने से नोटबंदी और कालेधन को खत्म करने का उद्देश्य विफल हो जाएगा.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने 65 पेज का अपना ताजा हलफनामा उन याचिकाओं के जवाब में दाखिल किया है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से पुराने नोट जमा कराने की मांग की गई थी. दरअसल कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या वह लोगों को पुराने नोट जमा कराने के लिए एक और मौका दे सकती है.इसका जवाब कोर्ट को दे. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि कोर्ट अगर कोई व्यक्ति उस दौरान बीमार हो गया और नोट नहीं जमा करा पाया तो उसे उसकी वैध रकम को जमा कराने से कैसे रोका जा सकता है.

बता दें कि सरकार ने अपने जवाब में कहा कि गत वर्ष 8 नवंबर की अधिसूचना में व्यक्ति को स्वयं अथवा किसी अधिकृत एजेंट या व्यक्ति के माध्यम से पुराने नोट जमा कराने की छूट दी गई थी. जबकि याचिकाकर्ताओं ने इस बात का कोई ठोस कारण नहीं बताया कि वे स्वयं या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति उनके 500 और 1000 के पुराने नोट क्यों नहीं जमा करा पाए.

सरकार ने यह भी कहा कि नोट बंदी के दौरान लोगों को 9 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर तक 51 दिन का समय पुराने नोट जमा कराने के लिए दिया था. जो एक लंबी अवधि थी, जबकि 1978 की नोट बंदी के समय सिर्फ 6 दिन का समय पुराने नोट जमा कराने के लिए दिया गया था. नोटबंदी के दौरान विभिन्न एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर गैरकानूनी गतिविधियां और घपले कर लोगों ने सुविधा का दुरुपयोग किये जाने की भी जानकारी मिली है. इसलिए यदि पुराने नोट जमा करने की अनुमति दी गई तो नोटबंदी और कालेधन को खत्म करने का उद्देश्य विफल हो जाएगा.

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