नई दिल्ली: सरकार को लक्जरी कारों को अहितकर वस्तु के रूप में श्रेणीबद्ध करना बंद करना चाहिए. बल्कि ऐसे वाहनों पर टैक्स का बोझ कम करना चाहिए क्योंकि इसके विनिर्माता भी देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यह मानना है जगुआर लैंड रोवर इंडिया के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक रोहित सूरी का.
सूरी ने कहा है कि कर के भारी बोझ ने देश में लक्जरी कारों के बाजार की वृद्धि पर रोक लगा दी है. अहितकर वस्तु के रूप में इन्हें श्रेणीबद्ध किए जाने की वजह अगर इनका महंगा होना ही है, तो इस तरह पांच सितारा होटल में जाना या महंगे कपड़े या जूते पहनना भी ‘अहितकर’ होगा. वर्तमान में देश में लक्जरी वाहनों पर सबसे ज्यादा दर यानी 28 फीसद की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है. इसके अतिरिक्त सेडान श्रेणी पर 20 फीसद और एसयूवी श्रेणी पर 22 फीसद अतिरिक्त उपकर भी लगता है. इस प्रकार यह क्रमश: 48 और 50 फीसद कर होता है.
सूरी ने कहा है कि, ‘‘सरकार लक्जरी कारों को अहितकर वस्तु मानती है. इससे बाजार के बढ़ने में समस्या होती है. हम यह समझने में विफल है कि यह कैसे एक अहितकर वस्तु है. मैं समझ सकता हूं कि ऐसा कुछ अहितकर हो सकता है जिससे आपकी सेहत को नुकसान पहुंचे, जैसे कि सिगरेट किन्तु क्या कार चलाने से भी आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है?’’
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