नई दिल्ली: देश में समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) यानी सभी मजहब के लोगों के लिए एक कानून लागू करने के लिए अब बड़ी बहस शुरू होने जा रही है। यहां के कांस्टीट्यूशन क्लब में 23 नवंबर को सुबह दस से चार बजे के बीच तीन सत्रों में इस मुद्दे पर मंथन किया जाएगा। इसमें कई केंद्रीय मंत्री, सांसद, रिटायर न्यायाधीश व कानूनविद और सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे।
विशेष बात यह कि आयोजन में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी मजहबों का प्रतिनिधित्व होगा। भारतीय मतदाता संघ की तरफ से आयोजित किए गए इस सेमिनार का विषय है कि 'इंडियन सिविल कोड : ए कॉमन सिविल लॉ फार ऑल इंडियंस।' पहले सत्र में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री के.जे. अल्फोंस, शीर्ष अदालत के रिटायर न्यायाधीश पी.सी. पंत, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस.ए. अंसारी, पूर्व महान्यायवादी मोहन परासरन, सरकार के अवर महान्यायवादी अमन लेखी और मानवाधिकार कार्यकर्ता नइस हसन मुख्य रूप से चर्चा में हिस्सा लेंगे।
इसी तरह दूसरे सत्र में केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह, सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह, भारत सरकार के पूर्व अटॉर्नी जनरल केशव परासरन, जस्टिस जेड.यू. खान, शिया सेंट्रल व़क्फ बोर्ड के प्रमुख सैय्यद वसीम रिजवी आदि समान नागरिक संहिता से सम्बंधित उद्देश्यों पर चर्चा करेंगे। वहीं तीसरे सत्र में संघ के सीनियर लीडर इंद्रेश कुमार, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश ए.के. सीकरी, सांसद मनोज तिवारी, जफर सरेशवाला भी प्रमुख रूप से कॉमन सिविल कोड की जरूरतों समेत इसके हर पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
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