भोपाल : देश में स्वच्छ भारत मिशन की जंग छिड़ी हुई है ऐसे में मध्यप्रदेश की नई राज्यपाल महोदया आनंदी बेन पटेल भी इसका हिस्सा बनी. उन्होंने भी प्रधानमंत्री की स्वच्छ भारत योजना में अपना हाथ बंटाया. लेकिन जिस तरह उन्होंने हाथों में दस्ताने पहन और मुँह पर मास्क लगा कर राजभवन में सफाई अभियान को हवा दी उससे लगता है कि यह महज़ एक दिखावा है. क्योकि राजभवन कितना स्वच्छ रहता है यह तो वहां आने-जाने वाला हर व्यक्ति जानता ही है. ऐसे में वहां सफाई अभियान चलाना महज़ दिखावा मात्रा है.
और जिस तरह राज्यपाल महोदया ने सफाई अभियान से पहले खुद को सुरक्षित करने के लिए हाथों में दस्ताने और मुँह पर मास्क बाँधा है तो क्या बाकई में ऐसी आदर्श स्थति सफाई कर्मियों की है? नगर निगम और पालिकाओं में इस तरह के साजो-सामान सफाई कर्मियों के लिए उपलब्ध हैं? क्या उनकी सुरक्षा के लिए इस तरह के वैक्सीनेशन और टिटनेस और अन्य रोगों से लड़ने को मेडिकल सुविधाएं प्रदान की गई हैं? पहले सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा और सफाई कर्मियों के लिए यह सारी सुविधाएं मुहैया करानी होगीं, उनके स्वास्थ की देखरेख का उचित प्रबंध करना होगा तभी सफाई अभियान असलियत में सार्थक होगा वरना इसे महज़ एक दिखावा ही कहा जायेगा.
इसके अलावा देश भर में और प्रदेश में सफाई अभियान तो जोरों पर है और शहर भी साफ़-स्वच्छ दिखाई दे रहे हैं लेकिन, भ्रष्टाचार नामक जो गंदगी प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे देश में फैली है उसे साफ़ करना बहुत जरूरी है. प्रदेश की नई राज्यपाल बन कर आई आनंदी बेन राजभवन की सफाई के साथ-साथ क्या मंत्री, विधायक और अफसर जिनके विरुद्ध लोकायुक्त और अन्य न्यायालयों में मुकदमे चल रहे है उनके खिलाफ इस राजनैतिक गंदगी को साफ़ करेगी? अगर वास्तव में वे ऐसा करती है 'शिव के राज' पर निगरानी रख इस तरह की गंदगी को साफ़ करने की पहल करें और सख्ती के साथ इसका पालन करें तभी उनकी नियुक्ति सफल होगी.
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