नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच पूरी दुनिया में पर्यावरण को सहेजने की मांग और तेज हुई है। खासकर शहरी क्षेत्रों में इसकी अधिक आवश्यकता समझी जा रही है, जहां जंगल और जैव-विविधता दोनों ही लगभग समाप्त हो चुकी है। यही वजह है कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार ने शहरों में फिर से जंगल विकसित करने की एक नई पहल आरंभ की है।
शहरी वन योजना के तहत इनका विकास किया जाएगा। इसके तहत अगले पांच वर्षों में पूरे देश में दो सौ नगर वन विकसित किए जाएंगे। इसके लिए राज्यों से प्रस्ताव देने के लिए कहा गया हैं। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इसका ऐलान किया। कोरोना संक्रमण के खतरे के मद्देनज़र मंत्रालय ने इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन वर्चुअल ही किया था। इसमें यूनेस्को समेत पर्यावरण में दिलचस्पी रखने वाले देशभर के लोग जुड़े थे।
इस दौरान जावडेकर ने कहा कि पर्यावरण का मुख्य नियम यह है कि अगर हम प्रकृति की रक्षा करते हैं, तो प्रकृति भी हमारी रक्षा करती है। यही कारण है कि विकसित होने वाले ये वन शहरों के फेफड़ों के तौर पर काम करेंगे। ये जंगल शहरी वन भूमि पर या फिर स्थानीय निकायों की रिक्त पड़ी भूमि पर निर्मित होंगे। उन्होंने सभी प्रदेशों से इस मुहिम में बढ़-चढ़कर शामिल होने की अपील की। साथ ही कहा कि जल्द ही नगर वन को लेकर एक प्रतिस्पर्धा भी आरंभ की जाएगी, जिसमें बेहतर नगर वन विकसित करने वाले राज्यों और नगर निकायों को पुरस्कृत किया जाएगा।
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