पटना: देश में वक्फ बोर्ड की मनमानी से जुड़ा एक और मामला सामने आया है। बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित ऐतिहासिक गरीबनाथ शिव मंदिर के बाहर की जमीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह जमीन सरकार द्वारा मंदिर को नैवेद्यम प्रसाद की बिक्री के लिए दी गई थी, लेकिन वक्फ बोर्ड ने इस पर दावा करते हुए शिकायत दर्ज कराई है। विवादित जमीन मस्जिद के सामने स्थित है, और इस वजह से मुस्लिम समुदाय, वक्फ बोर्ड और मस्जिद प्रशासन ने आपत्ति जताते हुए इसे वक्फ संपत्ति बताया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के न्यासी एनके सिन्हा ने बताया कि यह जमीन सरकार द्वारा अस्थायी रूप से तीन महीने के लिए मंदिर को आवंटित की गई थी। इसका इस्तेमाल श्रद्धालुओं के लिए नैवेद्यम प्रसाद की बिक्री के लिए किया जाना था। जमीन का यह टुकड़ा नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज है, और पहले यह खाली पड़ा था। मंदिर प्रशासन ने बताया कि सावन और अन्य धार्मिक अवसरों पर लाखों श्रद्धालु गरीबनाथ मंदिर में आते हैं। भीड़ के कारण मंदिर परिसर में प्रसाद बेचने की जगह कम पड़ने लगी थी। इस समस्या को हल करने के लिए नगर निगम ने मंदिर प्रशासन को 270 वर्ग फुट का एक टुकड़ा दिया था। लेकिन मस्जिद और वक्फ बोर्ड ने इसे लेकर आपत्ति जताई है। वक्फ बोर्ड को ये आपत्ति है कि जमीन मंदिर के इस्तेमाल में क्यों आ रही है? हालाँकि, जमीन नगर निगम मुजफ्फरनगर के नाम है और इस पर वक्फ का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन वक्फ मनमाने तरीके से इस पर कब्जा करने की सोच रहा है। इसी प्रकार वक्फ बोर्ड आज देश की 9 लाख एकड़ जमीन पर अपना दावा कर चुका है।
इस मौजूदा विवाद के कारण श्रद्धालुओं को अब नैवेद्यम प्रसाद नहीं मिल पा रहा है। मंदिर के न्यासी ने बताया कि इससे न केवल श्रद्धालु परेशान हो रहे हैं, बल्कि मंदिर न्यास को हर साल होने वाली करीब 5 लाख रुपये की आय भी बंद हो गई है। मजे की बात ये है कि इस मामले की सुनवाई किसी अदालत में नहीं, बल्कि वक्फ के ही ट्रिब्यूनल में हो रही है, क्योंकि कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून के मुताबिक, अदालतों को वक्फ सम्पत्तियों (2013 के बाद) पर सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। अब वे ही लोग सुनवाई कर रहे हैं, जिन्होंने जमीन पर दावा ठोंका है। इसकी अगली सुनवाई 23 जनवरी को होने वाली है।
गरीबनाथ मंदिर का यह मामला वक्फ बोर्ड के उन विवादित मामलों में से एक है, जिसमें वह सार्वजनिक या निजी जमीनों पर अपना दावा ठोंकता रहा है। वक्फ बोर्ड के दावों को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद हुए हैं।
दिल्ली: कश्मीरी गेट का मामला:-
दिल्ली में कश्मीरी गेट के पास एक ऐतिहासिक इमारत पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया। यह इमारत सरकारी जमीन पर स्थित है और वर्षों से इसका इस्तेमाल एक शैक्षणिक संस्थान के लिए हो रहा था। लेकिन वक्फ बोर्ड ने इसे "मुस्लिम धार्मिक स्थल" बताते हुए कब्जे की कोशिश की। मामला अदालत में पहुंचा और अभी भी लंबित है।
राजस्थान: जोधपुर का विवाद;-
राजस्थान के जोधपुर में एक किसान की निजी जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया। किसान के परिवार ने बताया कि उनकी यह जमीन पीढ़ियों से उनके कब्जे में है और इसका कोई वक्फ रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन बोर्ड ने बिना किसी ठोस प्रमाण के इस पर अपना हक जताया। अदालत ने फिलहाल किसान के पक्ष में फैसला सुनाया है, लेकिन वक्फ बोर्ड ने इसे ऊपरी अदालत में चुनौती दी है।
हरियाणा: गुरुग्राम का मामला :-
हरियाणा के गुरुग्राम में एक सरकारी पार्क पर वक्फ बोर्ड ने दावा ठोंका। यह जमीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) के अंतर्गत आती है और इसे पार्क के रूप में विकसित किया गया था। लेकिन वक्फ बोर्ड ने इसे "मुस्लिमों का कब्रिस्तान" बताते हुए कब्जे की मांग की है। इस मामले में स्थानीय निवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद मामला अदालत में चला गया और लंबित है।
मुकेश अंबानी का एंटीलिया:-
अरबपति मुकेश अंबानी ने मुंबई में जो बहुमंजिला ईमारत एंटीलिया बनाई है, उस जमीन पर भी वक्फ बोर्ड अपना दावा ठोंकता है, वक्फ का कहना है कि ये जमीन उसकी है। लेकिन सवाल ये है कि क्या अंबानी के पास जमीन का एक टुकड़ा खरीदने के भी पैसे नहीं होंगे, जो वो वक्फ की संपत्ति हड़पकर घर बनाएंगे? हालाँकि, ये मामला भी २०१३ से पहले का है, इसलिए अदलात में पहुँच गया, वरना २०१३ में कांग्रेस सरकार ने जाते जाते, वक्फ को इतनी ताकत दे दी थी कि अगर उसे लगता है कि कोई जमीन उसकी है, तो वो उसपर दावा कर सकता है और इसके लिए उसे कोई सबुत दिखाने की भी जरुरत नहीं, और तो और अदालतें तथा सरकार भी इसमें दखल नहीं दे सकती, इस मामले में सर्वेसर्वा वक़्फ़ ट्रिब्यूनल होगा और उसका फैसला आखिरी होगा।
बता दें कि, वक्फ बोर्ड को 1995 के वक्फ एक्ट के तहत तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा बड़ी शक्तियां दी गई हैं। वक्फ संपत्तियों की देखभाल और प्रबंधन का अधिकार बोर्ड के पास होता है। लेकिन अक्सर यह आरोप लगता है कि वक्फ बोर्ड अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए विवादित दावे करता है। मंदिर प्रशासन ने वक्फ बोर्ड के इस रवैये की आलोचना की है। गरीबनाथ मंदिर के पुरोहित आनंद शास्त्री ने कहा कि यह जमीन नगर निगम की है, और वक्फ बोर्ड का दावा गलत है। उन्होंने श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करने की अपील की।
मामले की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल में चल रही है। नगर निगम और मंदिर प्रशासन ने अपने पक्ष रखे हैं। अगली सुनवाई 23 जनवरी, 2025 को होगी। वक्फ बोर्ड के लगातार विवादित दावों ने इस मामले को और अधिक जटिल बना दिया है। गरीबनाथ मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि न्यायालय जल्द ही इसका समाधान निकालेगा ताकि श्रद्धालुओं की परेशानी खत्म हो और मंदिर को उसका अधिकार मिले।