नई दिल्ली: सरकार आगामी आम बजट में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए खिलौना क्षेत्र के लिए नीति की घोषणा कर सकती है। सूत्रों से यह जानकारी नोट की गई है। सूत्रों के अनुसार, इस नीति से देश में उद्योग के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और स्टार्टअप को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय पहले से ही खिलौनों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठा रहा है। मंत्रालय ने इस क्षेत्र के लिए गुणवत्ता नियंत्रक आदेश जारी किया है और साथ ही पिछले साल खिलौनों पर आयात शुल्क बढ़ाया है।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश घरेलू बाजार के लिए सस्ते कम गुणवत्ता वाले खिलौनों के प्रवाह को रोक देगा। एक सूत्र ने बताया कि इंटरनेशनल खिलौना इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। भारत का निर्यात वैश्विक मांग के 0.5 प्रतिशत से भी कम है। इसलिए इस क्षेत्र में कई अवसर हैं। सूत्र ने कहा कि खिलौना क्षेत्र के लिए अनुसंधान और विकास और डिजाइन केंद्रों को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। सूत्र ने कहा, मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने से देश से खिलौना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस क्षेत्र में इस समय चीन और वियतनाम जैसे देशों का वर्चस्व है । भारत का खिलौना निर्यात लगभग 100 मिलियन डॉलर तक सीमित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने की बात कही है। प्रधानमंत्री के मुताबिक वैश्विक खिलौना बाजार में सात लाख करोड़ रुपये से अधिक का बाजार है, लेकिन भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। इसे आगे ले जाने के लिए देश को मिलकर काम करना होगा। पूर्व में प्रधानमंत्री भारतीय खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत को कई बार आगे आने को कहा है। पिछले साल ही सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग से लेकर पारंपरिक खिलौनों तक, खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। सरकार एक तरफ युवाओं के लिए कार्यक्रम आयोजित कर नए जमाने के ऑनलाइन खेल बनाने के लिए उभरती प्रतिभाओं को खोजने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर सरकार पारंपरिक खिलौनों को बढ़ावा देने की रणनीति पर भी काम कर रही है।
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