केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी), केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक प्रभाग ने बिटकॉइन लेनदेन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव सामने रखा है। सीईआईबी ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को बताया कि सरकार बिटकॉइन ट्रेडिंग पर सालाना 7,200-करोड़ रुपये प्राप्त कर सकती है।
सीईआईबी ने क्रिप्टो-मुद्राओं पर जीएसटी लगाने पर एक अध्ययन किया है। तदनुसार इसने वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया कि बिटकॉइन को 'अमूर्त संपत्ति' वर्ग के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है और सभी लेनदेन पर जीएसटी लगाया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि क्रिप्टो-करेंसी को करंट एसेट्स के रूप में माना जा सकता है और इसके ट्रेडिंग में किए गए मार्जिन पर जीएसटी वसूला जाता है। आरबीआई ने 2018 में वस्तुतः क्रिप्टो-मुद्रा व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था और निर्देश दिया था कि इसके द्वारा विनियमित सभी संस्थाएं आभासी मुद्राओं में सौदा नहीं करेंगी या किसी व्यक्ति या इकाई को सुविधा देने या उनसे निपटने के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए सेवाएं प्रदान नहीं करेंगी।
वर्तमान में भुगतान के माध्यम के रूप में, बिटकॉइन को भारत में किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा न तो अधिकृत किया गया है और न ही विनियमित किया गया है। इसके अलावा, बिटकॉइन से निपटने के दौरान उत्पन्न होने वाले विवादों को हल करने के लिए कोई नियम या दिशानिर्देश निर्धारित नहीं किए गए हैं। इसलिए, बिटकॉइन लेनदेन जोखिम के अपने सेट के साथ आते हैं।
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