नई दिल्ली: एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक सरकार 1983 में तैयार किए गए मौजूदा प्रवासन नीति को बदलने के लिए एक नई प्रवासन नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है. बाहरी मामलों और विदेशों के भारतीय मामलों के सचिव ज्ञानेश्वर मुलाय ने कहा कि "भारत सरकार द्वारा अधिनियमित प्रवासन की वर्तमान नीति बहुत पुरानी है और इसपर फिर से काम करने की जरूरत है." हालांकि, उन्होंने यह स्पष्टीकरण नहीं दिया कि नीति के किन हिस्सों को बदलने की जरुरत है.
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मुलाय ने कहा कि "1983 से, वैश्विक स्तर पर स्थितियों में काफी बदलाव आया है, ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां पहले तैयार की गई नीति के बाद से कई नई चीजें उभरी हैं. उन्होंने कहा कि नए अधिनियम पर काम करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है. प्रवासन अधिनियम, 1983 के अनुसार, "प्रवासक" का अर्थ भारत के उस किसी भी नागरिक से है, जो प्रवास कर चुका है, करना चाहता है या फिर दूसरे देश में चले गया है.
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नए मसौदे को पूरा करने के अनुमानित समय देने से इनकार करते हुए मुलाय ने कहा कि "मसौदे तैयार होने के बाद, संसद को इसे मंजूरी देनी होगी और तभी नई नीति लागू की जाएगी, नतीजतन, यह टिप्पणी करना संभव नहीं है कि वास्तव में इसे कब लागू किया जाएगा क्योंकि पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगेगा."
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