लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण ने ऑटो इंडस्ट्री की हालत खराब कर दी है. इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि वाहन निर्माता कंपनियों ने घरेलू बाजार में पिछले महीने शून्य वाहनों की बिक्री दर्ज की है क्योंकि सभी बिक्री संचालन और प्रोडक्शन 22 मार्च को बंद कर दिए गए थे, जब जनता कर्फ्यू को देशव्यापी में लागू किया गया था, जिसके बाद लॉकडाउन लगा दिया गया. वहीं, इसके बाद वाहन निर्माता कंपनियों ने तत्काल भुगतान मंजूरी और अग्रिम भुगतान के माध्यम से अपने डीलर को सपोर्ट दिया.
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कोरोना का असर वाहन कम्पोनेंट्स बनाने वाली कंपनियां पर भी पड़ा हैं जिन्होंने ने इस लॉकडाउन में सबसे बुरा खामियाजा उठाया. प्रधानमंत्री द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है, जो कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 10 फीसद है. इसमें माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) शामिल हैं और 80 फीसद से अधिक ऑटो कम्पोनेंट्स निर्माता MSMEs के अंतर्गत आते हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कम्पोनेंट्स निर्माताओं के पास लॉकडाउन के दौरान अपने व्यवसायों को बनाए रखने और अपने कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए कम नकदी या बैंक भंडार है. ऑटो कम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) ने पहले सरकार से इंडस्ट्री के लिए किसी भी नीति या वित्तीय सहायता के लिए अनुरोध किया था. नए आर्थिक पैकेज पर ऑटो कम्पोनेंट्स निर्मता एसोसिएशन (ACMA) ने पहले ही इस बात को लेकर सरकार से अनुरोध किया था कि उन्हें इंडस्ट्री के लिए वित्तीय सहायता की जरूरत है.
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