आज विश्व साक्षरता दिवस है. ये दिन शिक्षा के महत्त्व को समझने के लिए और उसके प्रति मंथन करने का दिन है. विश्व साक्षरता दिवस के इस खास मौके पर आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बता रहे हैं जो साल के 365 दिन ही खुला रहता है. जी हां... ये स्कूल छत्तीसगढ़ के भरूवाडीह कला गांव में स्थित सरकारी स्कूल है जो देशभर के सभी बड़े स्कूल से कई ज्यादा आगे है. इस स्कूल की ये खासियत है कि यहां रविवार को भी छुट्टी नहीं रहती हैं. चाहे होली हो या दिवाली ये साल के 365 दिन ही खुला रहता है.
HDFC बैंक का उपाध्यक्ष हुआ लापता, खून से लथपथ मिली कार
इस विद्यालय के सभी शिक्षक और विद्यार्थी हम सभी से कई गुना आगे हैं. हर दिन इस स्कूल की घंटी बजती है और शिक्षक और बच्चे स्कूल पहुंच जाते हैं. सूत्रों की माने तो पिछले तीन सालों से इस स्कूल में एक भी दिन ताला नहीं लगा है. सरकारी अवकाश वाले दिन भी अन्य सभी स्कूल और सरकारी कार्यालय में ताला लगा होता है लेकिन ये विद्यालय हर दिन खुला ही रहता है. गांव की आबादी 1 हजार है लेकिन इस स्कूल में 54 बच्चे पढ़ते हैं. भले ही देशभर में कोई त्यौहार मनाया जा रहा हो लेकिन इस पाठशाला से हर दिन बच्चों की पढाई की आवाज गूंजती है.
जम्मू कश्मीर: मुठभेड़ में लश्कर का आतंकी ढेर, एक पुलिसकर्मी भी घायल
आखिर क्यों साल के 365 दिन खुला रहता है ये विद्यालय? ये सवाल तो आपके दिमाग में भी आया ही होगा तो चलिए हम आपको इस बारे में बता ही देते हैं. इस विद्यालय में सभी कक्षाओं के अलग-अलग विषयों को पढ़ाने के लिए मात्र 2 ही शिक्षक है. 2 टीचर के होने के कारण बच्चों की पढाई पर काफी ज्यादा असर पड़ता है नतीजन कोर्स टाइम से पूरा नहीं हो पाता है. ऐसी स्थिति में विद्यालय के शिक्षक दिनेश कुमार वर्मा ने sarpach के सामने एक प्रस्ताव रखा कि अगर सभी गांववाले चाहे तो इस पाठशाला को रोज खोल सकते हैं. गांववालों ने उनके इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दें दी और दिनेश ने हर दिन विद्यालय खोलने की जिम्मेदारी ले ली. दिनेश रोजाना 12 कि.मी का सफर तय करके विद्यालय पहुंचते हैं.
अब चीन के रास्ते व्यापार करेगा नेपाल, भारत पर निर्भरता ख़त्म
अगर किसी दिन दिनेश किसी कारणवश विद्यालय नहीं आ पाते हैं तो ऐसे में वो गांव के किसी शिक्षित व्यक्ति को स्कूल खोलने की जिम्मेदारी देते हैं. इस विद्यालय में पढाई के साथ-साथ ढोल, तबला, मादर, हारमोनियम, बैंड बजाना भी सिखाया जाता है. इतना ही नहीं यहां वॉलीबॉल, बैडमिंटन और किक्रेट जैसे खेल भी खिलवाए जाते हैं. बच्चों और शिक्षक मिलकर हर त्यौहार स्कूल में ही सेलिब्रेट करते हैं.
इस मंदिर में जाने पर इंसान बन जाते है पत्थर, खोज की तो उड़ गए होश