नई दिल्ली : एटॉमिक क्षेत्र में भारत ने बड़ी छलांग लगाते हुए बुधवार को 700 मेगावाट के 10 रिएक्टर लगाने का फैसला किया है. इन स्वदेशी परमाणु रिएक्टरों के सहारे 7000 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी. भारत सरकार के इस फैसले से दुनिया के दूसरे देश स्तब्ध हैं.इस फैसले से भारत ने अमेरिका, रूस सहित सभी विकसित देशों को यह स्पष्ट संकेत दिया है कि परमाणु ऊर्जा के लिए वह अब उनकी तकनीक पर ज्यादा दिनों तक निर्भर नहीं रहेगा.भारत ने इस क्षेत्र में आत्म निर्भरता की ओर कदम बढ़ा लिए है. इस उपलब्धि के बाद भारत अपने बलबूते परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने की क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा. यह जानकारी ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने दी.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में घरेलू तकनीक पर आधारित प्रेस्राइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (पीएचडब्लूआर) की दस इकाई लगाने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई है. इससे घरेलू उद्योगों को 70 हजार करोड़ रुपये के आर्डर मिलेंगे. यह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत को अत्याधुनिक तकनीक से संपन्न देशों की श्रेणी में खड़ा कर देगा. फ़िलहाल यह तय नहीं है कि ये इकाइयां कहाँ स्थापित होंगी. लेकिन यह तय है कि इन संयंत्रों में 33,400 लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा.
बता दें कि भारत ने परमाणु ऊर्जा तकनीक देने वाले देशों को यह संकेत दिया गया है कि उनकी हर मांग पूरी करने के लिए वह बाध्य नहीं होगा. सूत्रों के अनुसार सभी परमाणु इकाइयों को संभवत: वर्ष 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा. स्मरण रहे कि भारत अभी परमाणु ऊर्जा से 6780 मेगावाट बिजली बनाता है और 6700 मेगावाट क्षमता पर कार्य प्रगति पर है. वर्ष 2021-22 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है. बुधवार को स्वीकृत परियोजनाओं को वर्ष 2024-25 तक पूरा कर लिया जाएगा.
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