केंद्र ने राजनीतिक कारणों से बदला अपना रुख

केंद्र ने राजनीतिक कारणों से बदला अपना रुख
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नई दिल्ली : अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी( ए एम यू) को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने से जुड़े मामले में केंद्र सरकार के हलफनामे के बाद एएमयू द्वारा दाखिल जवाब में केंद्र को यूपीए सरकार का हलफनामा वापस लेने की इजाजत नहीं देने की मांग की गई है , क्योंकि उनकी नजर में मोदी सरकार का हलफनामा राजनीति से प्रेरित है.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान एएमयू की ओर से जवाब में कहा गया है कि मौजूदा केंद्र सरकार ने इस मामले में जो रुख बदला है, वो अलग राजनीतिक विचारधारा की वजह से है. एएमयू के अनुसार केंद्र का फैसला तर्कसंगत नहीं है, अनुचित है और राजनीतिक वजहों से लिया गया है.

बता दें कि एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वो एएमयू को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान करार नहीं देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपीए सरकार की अपील को वापस लेना चाहती है.सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते में इसका जवाब दाखिल करने को कहा है.

मोदी सरकार ने अपने हलफनामे में 1967 में अजीज बाशा केस में संविधान पीठ के जजमेंट को आधार बनाते हुए कहा था कि एएमयू को केंद्र सरकार ने बनाया था न कि मुस्लिम ने. केंद्र ने हलफनामे में 1972 में संसद में बहस के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बयानों का सन्दर्भ दिया जिसमें इंदिरा गांधी ने कहा था कि अगर इस संस्थान को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया तो देश में अन्य अल्पसंख्यक वर्ग या धार्मिक संस्थानों को इनकार करने में परेशानी होगी.

जबकि एएमयू का कहना है कि सरकार बदलने के साथ दूसरी सरकार का नजरिया नहीं बदलना चाहिए. एएमयू देश की सबसे पुरानी मुस्लिम यूनिवर्सिटी है. इसे मिला अल्पसंख्यक का दर्जा सभी मुस्लिमों के लिए बहुत महत्त्व रखता है.

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