रूस के बाद अब इस शहर ने खोजी कोरोना की वैक्सीन

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बीजिंग: कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए पूरी विश्वभर में कोविड वैक्सीन  का बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही है। वैक्सीन बनाने को लेकर विश्व के कई देशों के मध्य एक तरह की रेस शुरू हो चुकी है. जंहा इस  रेस में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन इस समय बहुत आगे है। इस मध्य रूस के उपरांत अब चीन की पहली कोविड-19 वैक्सीन को भी मंजूरी दी जा चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन की वैक्‍सीन Ad5-nCoV को पेटेंट दिया जा चुका है। इस वैक्‍सीन को CanSino Biologics Inc की मदद से बनाया गया है। नैशनल इंटेलेक्‍चुअल प्रॉपर्टी एडमिनिस्‍ट्रेशन ने पेटेंट मिलने की सूचना देते हुए कहा है कि इस पेटेंट को 11 अगस्‍त को मंजूरी मिल चुकी है। चीन की इस वैक्‍सीन के 3 चरण का विश्व के कई देशों में ट्रायल किया जा रहा है और इस वर्ष के अंत तक इसके बाजार में आने की उम्‍मीद है। सऊदी अरब ने बताया कि वो इस चीनी वैक्सीन के तीसरे चरण का टेस्ट शुरू करने की योजना बना रहे है। कैन्सिनो बायोलॉजिक्स ने बताया है कि वह तीसरे चरण के परीक्षण के लिए रूस, ब्राजील और चिली के साथ भी बात कर रहा है।

तीसरे चरण में सिनोफार्म की वैक्सीन: चीन की सिनोफार्म कंपनी की वैक्सीना ने भी तीसरे चरण में एंट्री कर चुका है। शोधकर्ताओं ने बताया है कि पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में अच्छे नतीजे देखने मिले। कंपनी के अनुसार वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को 3 माह में पूरा हो जाएगा। कंपनी दावा कर रही है कि उसकी वैक्सीन इस वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएगी।

सबसे परहले किसे मिलेगा वैक्सीन: दूसरी तरफ भारत में कोविड वायरस के लिए दिन-रात कार्य किया। देश में तीन वैक्सीन का विभिन्न चरणों में ट्रायल किया जा रहा है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर स्वदेशी कोरोना वायरस की वैक्सीन कोवाक्सिन का ह्यूमन ट्रायल शुरू किया जा चुका है। वहीं, अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैडिला वैक्सीन जायकोव-डी का भी ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल शुरू है। कंपनी ने बताया है कि वैक्सीन अगले वर्ष तक लांच हो सकती है। जबकि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन के लिए इंडिया में टेस्ट शुरू करने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की अनुमति ली है।

वैश्विक स्तर पर 29 वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल: विश्वभर में इस वक़्त 29 कोविड वैक्‍सीन का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। इसके अतिरिक्त 138 वैक्‍सीन ऐसी हैं जो प्री-क्लिनिकल स्‍टेज में हैं। एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि अगले वर्ष की शुरुआत तक कोना की सेफ वैक्‍सीन आ सकती है। किसी भी वैक्‍सीन को डेवलप कर बाजार में उतारने में 10-12 वर्ष लगते हैं मगर कोविड के प्रकोप को देखते हुए इस प्रक्रिया को बेहद तेज होता जा रहा है।

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