नईदिल्ली। एक ओर जहां देशभर के कारोबारी केंद्र सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स विधेयक की दरों का विरोध करने में लगे हैं वहीं जम्मू कश्मीर की लोकप्रिय पश्मीना शाॅल के कारोबार पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। पश्मीना शाॅल के निर्माण और थोकविक्रेताओं के कारोबार पर इसका स्पष्ट असर दिखाई दे रहा है। उक्त उद्योग 60.70 प्रतिशत तक मंदा चल रहा है।
कारोबार नहीं चलने से कारोबारियों को परेशानी हो रही है। बाजार में सर्द मौसम प्रारंभ होने के बाद भी पश्मीना शाॅल का विक्रय कम ही हो रहा है। स्थिति यह है कि क्रिसमस व नए साल के लिए भी कारोबारियों को आॅर्डर नहीं मिल रहे हैं। शाॅल विक्रेताओं का का कहना है कि जीएसटी की दरें इस पर लागू होने से ये शाॅल्स महंगी हो गई हैं। जिसके कारण कम लोग इसे खरीद रहे हैं।
नोटबंदी के कारण कारोबार में गिरावट दर्ज की गई थी। इसका असर मैन्युफैक्चरिंग पर हुआ है। कारोबारियों का कहना है कि पश्मीना शाॅल पर जीएसटी लगा यह तो एक तथ्य है ही लेकिन धागे पर जीएसटी की दरें लगाने और इसके कच्चे माल पर जीएसटी की दर लगाने से भी शाॅल महंगी हुई है। हालांकि हैंडलूम और मशीन से जीएसटी के निर्माण में जीएसटी की दर 5 प्रतिशत ही की गई है।
हालात ये हैं कि पहले के दाम में जो लोग दो शाॅल खरीद सकते थे वे अब 1 शाॅल ही खरीद रहे हैं। लद्दाख में हिमालयन शाॅल्स के मालिक अब्दुल बशीर ने कहा है कि पश्मीना वूल की डिमांड विश्वभर में सबसे अधिक होती है। यह एक ब्रांड की तरह हो गया है। लद्दाख में ऐसी बकरियां पाई जाती हैं, जिनसे पश्मीना शाॅल बनाने के लिए वूल मिलता है। यूरोप के लोग इसे कश्मीर वूल के नाम से जानते हैं।
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