नई दिल्ली : जब से GST लागू हुआ है तब से बाज़ार की हालत बहुत ही ज्यादा सुस्त हो गयी है. नए ऑर्डरों की मांग में भी कमी आयी है जिसका प्रमुख कारण GST यानि कि एक कर प्रणाली को माना जा रहा है. साथ ही इस व्यवस्था से व्यापारी वर्ग को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. हालांकि सरकार लगातार इस पर सुधार कर रही है फिर भी अभी तक इसका स्थायी समाधान नहीं हो सका है. अब ऐसे में सरकार जल्दी ही GST को लेकर एक और नया कदम उठा सकती है.
उपभोक्ताओं की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए सरकार इस बार GST के दायरे में आने वाली वस्तुओं पर उसके अधिकतम खुदरा मूल्य मतलब MRP में कितना GST लिया जा रहा है इसे अंकित करना भी अनिवार्य कर सकती है. MRP पर GST लिए जाने को लेकर कुछ उपभोक्ताओं ने शिकायत दर्ज़ करवाई थी. इसे ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति ने यह सुझाव सरकार के सामने प्रस्तुत किया है. असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने GST कॉउंसिल को यह सुझाव दिया कि, सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि किसी भी वास्तु पर अंकित मूल्य (MRP) उस वास्तु कि अधिकतम कीमत है. अगर कोई भी दुकानदार इससे अधिक मूल्य ग्राहक से वसूलता है तो यह अपराध कि श्रेणी में आता है.
यह नियम होटलों, ढाबों, बड़े-बड़े मॉल्स 'जहाँ बोतलबंद पेय और डिब्बाबंद प्रोडक्ट ऊँचे दामों पर बेचे जाते हैं' के लिए अनिवार्य रूप से लागू किया जाना चाहिए. इसके अलावा जब भी ग्राहकों को बिल दिया जाए तो उसमे खरीदी गयी वस्तु के MRP के साथ यह भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि उस वस्तु के MRP पर कितना GST लिया गया है. GST कॉउंसिल की अगली बैठक 10 नवम्बर को गुवाहाटी में आयोजित होनी है. इस बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है. इसके अलावा रिटर्न भरने में देरी होने पर जो शुल्क लिया जाता था वह 100 रुपये प्रतिदिन था उसे भी घटाकर 50 रुपये करने पर विचार किया जा सकता है.
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