गांधीनगर: कोरोना महामारी के बीच भारत प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझ रहा है। हाल में आए चक्रवाती तूफान अम्फान ने पश्चिम बंगाल में भारी तबाही मचाई थी। ओडिशा भी बंगाल की खाड़ी में उठे इस तूफान से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। भारत अभी इससे संभलने का प्रयास कर ही रहा है कि पश्चिमी तट पर एक दूसरे चक्रवाती तूफान ने दस्तक दे दी है।
अरब सागर में बन रहे दबाव के क्षेत्र के बाद महाराष्ट्र और गुजरात में अलर्ट जारी किया गया है। इस चक्रवाती तूफान निसर्ग नाम दिया गया है। भारतीय और कुछ अन्य एशियाई मुल्कों के समुद्री तटों पर चक्रवाती तूफान का खतरा नया नहीं है। एक नियमित अंतराल पर ये आते रहते हैं।
कैसे रखे जाते हैं तूफानों के नाम ?
वर्ष 1953 से अमेरिका के मायामी स्थित नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (WMO) के नेतृत्व वाला एक पैनल तूफानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता था। WMO संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है। हालांकि पहले उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों को कोई नाम नहीं दिया जाता था। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला लगभग 16 वर्ष पूर्व साल 2004 में शुरू हुआ। इसके लिए एक लिस्ट बनाई गई। इसमें आठ देश हैं। आठ देशों को आठ नाम देने होते हैं। जिस देश का नंबर आता है तो उस देश की सूची में दिए गए नाम के आधार पर उस तूफान का नाम रखा जाता है। इसी तरह अम्फान का नाम रखा गया था।
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