लोकसभा चुनाव के रन को तैयार करने वाला ये गुजरात विधानसभा चुनाव् में जहां सभी पार्टियों ने अपनी -अपनी ताकत का शक्ति प्रदर्शन किया था और इस प्रदर्शन में मोदी ने एक बार फिर से सबको पछड़ते हुए अपनी ताकत का लोहा मनवाया है वहीँ कांग्रेस पहले की अपेक्षा ज्यादा मजबूती के साथ उभरकर सामने आई है.लेकिन 22 साल बाद गुजरात में कांग्रेस सत्ता की 'डेहरी' से थोड़ी दूर ठहर गई. और अब उन्हें पांच साल का वनवास और काटना पड़ेगा. इस तरह से देश में गुजरात बीजेपी का बन चुका है अभेद्य दुर्ग.
आपको बता दे कि २२ साल से सप्ता में काबिज गुजरात बीजेपी और मोदी की जब उनके राज्य में ही खिलाफत शुरू हुई तो उन्होंने ने वैसा रवैया नहीं अपनाया .जो बंगाल में वाम मोर्चे की सरकार ने अपनाया था .और उसी का नतीजा है कि आज एक बार फिर से उनकी सरकार ने सप्ता पर काबिज हुई है. लेकिन इस चुनाव में उनके विरोधी दुगनी ताकत के साथ उभरे है जो आने वाले चुनावो में उनके लिए मुशीबत खड़ी कर सकते है अब उनके विरोधियों को रोकने के लिए भी उपाय करने की जरूरत है और इसके लिए वह सोच भी रहे है और तैयारी भी करली है किस तरह से उनके खिलाफ उपज रहे असंतोष को खत्म किया जाए
पाटीदार आंदोलन और ऊना काण्ड को देखें तो मोदी ने राजनीतिक सूझ का परिचय दिया. जब पाटीदार आरक्षण के लिए भड़क कर सड़क पर उतर आए मोदी ने जल्दबाजी नहीं दिखाई और आंदोलन को बलपूर्वक कुचलने की कोशिश नहीं की. पाटीदार भड़के नहीं इसके लिए आंदोलन चलने दिया गया और पार्टी के पाटीदार नेताओं को आगे कर माहौल नर्म बनाने की कोशिश हुई. आनंदीबेन को तुरंत हटाया भी नहीं गया. मोदी के निर्देश पर धीरे-धीरे ठंडे दिमाग से पाटीदारों के मसले पर बीजेपी ने काम किया. इसका असर यह हुआ कि काफी हद तक हार्दिक का आंदोलन उस ज्वाला को नहीं भड़का पाया, जैसा दूसरे आन्दोलनों में हो जाया करता है
गुजरात और हिमाचल में चला मोदी मैजिक
परफॉर्म करो देश रिफॉर्म हो रहा है- पीएम मोदी
गुजरात में मोदी आएंगे या राहुल इस कुत्ते ने की भविष्यवाणी