गांधीनगर: भ्रष्टाचार के अपराधों की संख्या के मामले में गुजरात देश में तीसरा राज्य बन गया है। नीति आयोग के आंकड़ों में यह 1,677.34 के सूचकांक के साथ केवल तमिलनाडु तथा ओडिशा से पीछे है। प्रति करोड़ नागरिकों पर तमिलनाडु का भ्रष्टाचार-सूचकांक 2,492.45 जबकि, ओडिशा का सूचकांक 2,489.83 है। गुजरात विजीलेंस कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, विगत 5 पांच सालों में भ्रष्टाचार से सम्बंधित 40,000 से अधिक गुजरात में शिकायतें दर्ज हुईं।
उक्त पांच सालों के भ्रष्टाचार से सम्बंधित मामलों में 800 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इस रिपोर्ट को स्वयं राज्य के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा द्वारा प्रस्तुत किया गया था। वहीं, एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने भी बताया कि 2018 में भ्रष्टाचार के मामलों की तादाद 2017 की तुलना में दोगुनी हो चुकी है। यहां भ्रष्टाचार के अपराधों में शामिल अभियुक्तों की तादाद 2017 में 216 से बढ़कर 2018 में 729 हो गई।
राज्य में सबसे अधिक भ्रष्टाचार के मामले राजस्व विभाग में पाए गए। दूसरे नंबर पर अर्बन डेवलपमेन्ट और तीसरे स्थान पर गृह मंत्रालय रहा। यह तथ्य गुजरात के सीएम विजय रुपाणी पर सवाल खड़ा करते हैं, जो अक्सर कहते रहे हैं कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। किंतु, ये शिकायतें बता रही हैं कि वे भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को नहीं रोक पा रहे हैं।
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