लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए मतदान प्रक्रिया खत्म हो चुकी है और अब हर किसी को इंतजार चौथे चरण के मतदान का है. आपको बता दें कि 23 अप्रैल को अन्य सीटों सहित गुजरात की 26 सीटों पर मतदान हुआ है. हर जगह के तरह यहां भी मतदान से पहले यहां चुनाव प्रचार थम गया था. लेकिन राज्य में एक गांव ऐसा भी है जहां कोई नेता प्रचार के लिए ही नहीं जाता है.
बता दें कि बात यह है कि राजकोट जिले के राजसमढियाल गांव का नियम है कि किसी भी चुनाव में कोई भी नेता यहां प्रचार करने नहीं आ सकता है. लेकिन यहां पर कोई चुनाव का बहिष्कार नहीं करते हैं, बल्कि यहां पर तो बढ़-चढ़ कर मतदान किया जाता है. वहीं प्रचार को लेकर लोगों का यह मानना है कि नेताओं के प्रचार के गांव का माहौल खराब होता है. जबकि यहां पर चुनाव में मतदान 95 से 96 प्रतिशत तक होता है. यह यहां की सबसे ख़ास बात है.
साथ ही बता दें कि गांव के सरपंच अशोक भाई भी इसकी पुष्टि करते हैं और यही कारण है कि जहां देशभर में चुनावी रैलियां हो रही हैं, वहीं इस गांव में कोई चुनावी शोर सुनने को नहीं मिलता है. गाँव की इस अनोखी परंपरा की जानकारी देते हुए सरपंच अशोक भाई वाघेला ने बताया कि जब हरदेव सिंह सरपंच बने तब से ही गांव में नेताओं के चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा हुआ है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि, यह बैन सिर्फ सरपंच ने नहीं लगाया बल्कि गांव वाले भी इसके समर्थन में हैं.
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