अहमदाबाद : इस बार गुजरात का विधान सभा चुनाव बहुत कश्मकश वाला है. हार्दिक पटेल के पाटीदार आरक्षण आंदोलन और उसके द्वारा कांग्रेस को समर्थन दिए जाने से यह स्थिति भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकती है. इस चुनाव में भाजपा के साथ ही हार्दिक की साख भी दांव पर लगी है. देखना यह है कि वह पाटीदारों के बीच कितनी पकड़ रख पाते हैं. वहीँ कांग्रेस कितने पाटीदारों को टिकट देती है. लेकिन इतना तो तय है कि गुजरात में सत्ता की चाबी पाटीदारों के हाथों में ही है .जिन्होंने इन्हें थाम लिया सत्ता उसीको मिल जाएगी.
यदि गुजरात चुनाव का विश्लेषण करें तो गुजरात की आबादी में 16 फ़ीसदी पाटीदार हैं. हालाँकि इनका वर्चस्व करीब 40 से 45 सीटों पर है. लेकिन यह अपना असर 80 सीटों पर डाल सकते हैं. गुजरात के पाटीदारों में 60% लेउवा पटेल हैं जबकि 40 फ़ीसदी कड़वा पटेल. लेउवा पटेल 63 फ़ीसदी बीजेपी के समर्थक रहे हैं.लेकिन इस बार पाटीदार आंदोलन के कारण स्थिति असमंजस की है. ऐसे में बीजेपी के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह पाटीदारों को कैसे थामे. हालांकि हार्दिक पटेल के कई सहयोगी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. लेकिन इसका कितना असर होगा यह तो नतीजे ही बताएंगे.
जहाँ तक पिछले चुनाव की बात है तो 15 फ़ीसदी लेउवा पटेल ने कांग्रेस को वोट दिया था. जबकि कड़वा पटेल में से 82 फ़ीसदी ने बीजेपी को वोट दिया. वहीँ सिर्फ 7 फ़ीसदी ने कांग्रेस को वोट दिया था . कुल पाटीदारों की संख्या के आधार पर 70 फ़ीसदी पाटीदारों ने पिछले चुनाव में BJP को वोट दिया वहीँ 11 फ़ीसदी ने कांग्रेस को वोट दिया था.इस बार अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की ओर से बीजेपी को चुनौती मिल रही है, हालाँकि दोनों का समाज बीजेपी के खिलाफ ही रहा है.इसलिए ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
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