सूरत। गुजरात के शहर सूरत के हीरा व्यापारी मोहन भाई संघवी की पोती और धनेश-अमी बेन संघवी की बेटी देवांशी ने संन्यास ले लिया। देवांशी सिर्फ 9 बरस की है। देवांशी का दीक्षा महोत्सव वेसू में 14 जनवरी को शुरू हुआ था। आज बुधवार को सुबह 6 बजे से उनकी दीक्षा शुरू हो चुकी है। 35 हजार से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में देवांशी ने जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा ली। सूरत में देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकाली गई थी, जिसमे 4 हाथी, 20 घोड़े, 11 ऊंट मौजूद थे। इससे पहले मुंबई और एंट्वर्प में भी देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकली गई थी।
देवांशी 5 भाषाओं को जानती है, साथ ही संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में भी अच्छी पकड़ रखती है। देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ कंठस्थ हैं। 8 साल की उम्र तक ही वह 357 दीक्षा दर्शन, 500 किमी पैदल विहार, तीर्थों की यात्रा व कई जैन ग्रन्थों का वाचन कर कर चुकी है। देवांशी ने न केवल धार्मिक शिक्षा में, बल्कि क्विज में गोल्ड मेडल भी जीते है।
देवांशी के माता-पिता अमी बेन धनेश भाई संघवी बताते है कि, उनकी बेटी ने कभी टीवी नहीं देखा, जो चीज़े जैन धर्म में प्रतिबंधित है उनका कभी इस्तेमाल नहीं किया और न ही कभी अक्षर लिखे हुए कपड़े पहने। वे बताते है कि, देवांशी जब 25 दिन की थी तब से ही नवकारसी का पच्चखाण लेना शुरू का दिया था, 4 महीने की हुई तब से रात्रि भोजन का त्याग और 8 महीने की थी तब से रोज त्रिकाल पूजन की शुरुआत कर दी थी। जब 1 साल की हुई तब से ही रोजाना नवकार मंत्र का जाप किया, 2 साल 1 माह हुई तब से गुरुओं से धार्मिक शिक्षा लेनी शुरू की और 4 साल 3 माह की उम्र से गुरुओं के साथ रहना शुरू कर दिया था।
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