शिक्षा के अपने हक़ के लिए लड़ने की कारण से आतंकियों के निशाने पर आयी नॉबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुजई की ज़िंदगी अब बड़े पर्दे पर आ गयी है। इसके अलावा फ़िल्म 31 जनवरी को रिलीज़ हो चुकी है।इसके साथ ही मलाला कई मायनों में एक ज़रूरी फ़िल्म है। वही मलाला यूसुफजई की ज़िंदगी आतंकवाद और कट्टरवाद से जूझ रही दुनिया में यह एक उम्मीद और जज़्बे की मिसाल है। वही निर्देशक अमजद ख़ान ने फ़िल्म का एलान 2012 में किया था और बीते साल कंप्लीट हुई।इसके अलावा अमजद ने ऐसा सब्जेक्ट चुना, जिस पर फ़िल्म बनाना आसान नहीं था। इसके साथ ही मलाला से संपर्क स्थापित करने में तमाम दिक्कतें और राजनीतिक हालात ने फ़िल्म को लेकर मुश्किलें बढ़ा दीं।
सबसे बड़ा रीजन था 9 साल की बच्ची। 9 लाख से ज़्यादा तालिबान के ख़िलाफ़ अपने फंडामेंटल राइट्स के लिए लड़ी। स्कूल को बचाने के लिए लड़ी। बड़े लोग जो बोलने से डरते हैं, वो बात एक बच्ची ने रखी। मीडिया और ब्लॉगिंग के ज़रिए। गुल मकई नाम से ब्लॉग लिखती थी। बहुत बड़ा जज़्बा था। कई लाख टन आरडीएक्स और बारूद को बुझाने की एक मुहिम थी वो, उसी ने इंस्पायर किया। मैंने मलाला को एप्रोच नहीं किया। उनके लंदन चले जाने और फिर तमाम रेस्ट्रिक्शंस होने की वजह से राब्ता कायम नहीं हो पाया। पाकिस्तान के कुछ जर्नलिस्ट और लेखकों के ज़रिए अपने राइटर्स का संपर्क करवाया। फ़िल्म की ड्राफ्टिंग शुरू हुई। पाकिस्तानी अधिकारियों से भी इनपुट लिये, मगर जब संतुष्टि नहीं मिली तो लोकल लोगों से फोन के ज़रिए इनफॉर्मेशन इकट्ठा करने के बाद स्क्रिप्टिंग हुई।
इसके बाद नया दौर शुरू हुआ, कास्टिंग कैसे करेंगे? इनका पहनावा क्या होगा? इनका कल्चर कैसे दिखाएंगे? इसके अलावा घर का आर्किटेक्ट दिखाएंगे तो वो पाकिस्तान जैसा ही रखना होगा। इस तरह के टास्क में किसी प्रोड्यूसर का पैसा लगाना। उन्हें राज़ी करना। कई चीज़ों के बारे में समझाना। वही कॉर्डिनेशन रखना, शूटिंग करना...मुश्किल तो था। जब सामने चुनौती बड़ी हो तभी तो खेलने में मज़ा आता है। कभी ऐसा नहीं लगा कि क्यों कर रहे हैं। काम को एंजॉय किया। जी हां, उन्होंने फ़िल्म देखी है। यूएन की तरफ़ से लंदन में बीते साल फ़िल्म की स्क्रीनिंग हुई थी। उनके पिता ने फ़िल्म देखी। इसके अलावा कई बार वो इमोशनल हुए। रोने लगे थे। चार बार फ़िल्म को रोका गया है । इसके अलावा सारी चीज़ें रिकॉल होने लगीं। फिर रिलैक्स हुए, फिर देखना शुरू किया।
“With guns you can kill terrorists, with education you can kill terrorism.”
— Gul Makai (@gulmakaifilm) January 13, 2020
― Malala Yousafzai a.k.a. #GulMakaihttps://t.co/AmHF3Hi1eQ@reem4you @divyadutta25 @atul_kulkarni @akhandirector @jayantilalgada #BhaswatiJhupa @PenMovies pic.twitter.com/zAujX27vIE
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