गुप्त नवरात्रि शुरू हो चुके हैं और आज महाविद्या त्रिपुर भैरवी का छठवां दिन है. महाविद्या त्रिपुर भैरवी को विनाशकारी और विध्वंसकारी का स्वरुप माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि इनकी अनुमति के बिना काल भैरव अपना कार्य नहीं करते हैं, इनके ही आदेश से काल भैरव हर कार्य करते हैं. देवी त्रिपुर-भैरवी ने ही महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था और इन्हें ही महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है.
माँ महिषासुर मर्दिनी कमल पर विराजमान है, उनके बायें हाथों में वर एवं अभय मुद्रा है और दाहिने हाथों में जप माला तथा पुस्तक धारण किये हुए है. माँ भैरवी को त्रिपुर-भैरवी, कौलेश भैरवी, चैतन्य भैरवी, नित्य भैरवी, भद्र भैरवी, श्मशान भैरवी, सकल सिद्धि भैरवी, संपत प्रदा भैरवी, कामेश्वरी भैरवी के नामों से भी जाना जाता है.
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि इन्होंने ही पार्वती के स्वरूप में भगवान शिव को पति रूप में पाने का संकल्प लिया था. अगर आप गुप्त नवरात्रि में व्रत रखकर माँ की सच्चे मन से आराधना करते हैं तो आपके मन की हर मुराद पुरी होती हैं लेकिन उससे पहले आपको माँ के संदेशो पर ध्यान देना होगा.
ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी उनकी आराधना करें वे व्यक्ति हमेशा वासन, क्रोध, ईर्ष्या से दूर रहे और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़े. इसके अलावा अपने अष्ट पापों का नाश करें साथ ही व्रत के दौरान मन में गंदे विचारों को न आने दे. इस दौरान आप काल भैरव की पूजा अवश्य करें.
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