राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच राजनीतिक खेल जारी है. जिसमें गुर्जर समाज भी कूद पड़ा है. गुर्जर समाज पायलट के समर्थन में उतर गया है. जिसके लिए समाज ने महापंचायत बुलाई गई है. इसके अलावा राजस्थान में गुर्जर समाज से आने वाले अधिकतर एमएलए अपना नेता सचिन पायलट को नहीं बल्कि सीएम गहलोत को मानते हैं. जिस कारण राजस्थान के कुल 8 गुर्जर समाज के एमएलए में से 5 गहलोत के समर्थक में मजबूती के साथ खड़े हैं. जिसको लेकर यह सभा बुलाई जा रही है.
5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस ?
बता दे कि राजस्थान में सचिन पायलट को गुर्जर समाज का बड़ा नेता माना जाता है. राज्य में लगभग छह प्रतिशत गुर्जर समुदाय की जनसंख्या है. जिस वजह से 2018 में 8 एमएलए गुर्जर समुदाय से चुनकर आए थे. जिनमें 7 कांग्रेस और 1 बसपा से जीत दर्ज थी. लेकिन भारतीय जनता पार्टी से कोई भी नहीं जीत सका था. किन्तु बसपा से जीत दर्ज करने वाले जोगिंदर आवाना बाद में कांग्रेस में सम्मिलित हो गए. ऐसे में सचिन पायलट ने 18 एमएलए के साथ गहलोत सरकार के विरूध्द बागवत का बिगुल फूंके थे. वही, दो गुर्जर समुदाय के एमएलए ही साथ आए हैं, बाकी ने उन पर विश्वास नहीं जता पाए है.
साउथ इंडस्ट्रीस के इस फिल्म प्रोड्यूसर पर लगा रेप का आरोप
सचिन पायलट ग्रुप में एमएलए इंद्राज गुर्जर और जीआर खटाना ही गुर्जर समूह से हैं. वही, सचिन पायलट स्वंय भी गुर्जर समूह से हैं. साथ ही, डॉ. जितेंद्र सिंह, शकुंतला रावत, मंत्री अशोक चांदना गुर्जर, रामवीर सिंह बिधूड़ी और जोगिंदर आवाना जैसे गुर्जर एमएलए गहलोत के साथ दृढता के साथ खड़े हैं. इस प्रकार से गहलोत ने गुर्जर समूह के पांच एमएलए को अपने साथ रखकर ये दिखा दिया है, कि गुर्जर समूह के नेताओं के मध्य आज भी उनकी ही पकड़ है.
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को पुजारी बनाना चाहते थे पिता, जानिए उनसे जुड़ीं ख़ास बातें ?
रुबीना ने इस तरह दी अपने 'लवर' को जन्मदिन की बधाई
बच्चों संग मस्ती करते नजर आए गिप्पी ग्रेवाल