शास्त्रों के अनुसार शुभ-अशुभ योगों का काफी महत्व है और ज्योतिष लोग इसे मानते भी हैं. ऐसे ही सबसे ज्यादा चर्चित है गुरु चांडाल योग जिसके बारे में सुना ही होगा आपने जो आपकी कुंडली में आपके लिए किसी राहु केतू से कम नहीं है. ज्योतिष कहते हैं जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसका जीवन कभी स्थिर नहीं रहता. जिसकी कुंडली में चांडाल होता है उसका जीवन भ्रष्ट हो जाता है और जातक जो भी काम करता है उसका फल उसे बुरा ही मिलता है. आइये जानते हैं क्या है चांडाल योग.
गुरु ज्ञान और बुद्धि के दाता हैं और राहु छाया ग्रह है. जन्म कुंडली में जब गुरु के साथ राहु एक ही स्थान पर बैठ जाए तो इसी को गुरु चांडाल योग कहते हैं. आगे और भी जानकारी देते हैं चांडाल योग के बारे में.
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* गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के प्रथम भाव में यानी लग्न में अगर गुरु और राहू एक साथ बैठे हो तो ये काहण्डल योग आपको विनाशक बना सकता है. चांडाल योग व्यक्ति के चरित्र को नष्ट कर देता है. ऐसे लोग अनैतिक संबंधों में रुचि लेता हैं और गलत काम करके धन कमाते हैं.
* चांडाल योग के दूसरे भाव में गुरु बलवान होता है तो व्यक्ति धनवान साबित होता है लेकिन ऐसे लोग पैसों की कदर नहीं करते. वहीं अगर गुरु कमज़ोर हो तो इंसान हमेशा ही बुरी आदत में डूबा रहता है और परिवार से दूर हो जाता है.
* चांडाल योग के तीसरे भाव में गुरु और राहू के एक साथ होने से इंसान साहसी बनता हो और उसके काम में वृध्दि भी होती है साथ ही प्रसिद्धि भी मिलती है. अगर राहू बलवान हो तो व्यक्ति गलत काम में लग जाता है धन को गलत जगह अर्जित कर देता है.
* कुंडली के चौथे भाव में व्यक्ति बुद्धिमान व समझदार होता है पर गुर कमज़ोर हो तो इंसान की पारिवारिक कार्यों में रूचि नहीं रहती और व्यक्ति मानसिक रूप से विचलित रहता है.
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