27 जुलाई 2018 को सदी के सबसे लम्बे चंद्रग्रहण के साथ ही गुरु पूर्णिमा का भी महत्व है। इसी दिन गुरुओं का पूजन किया जायेगा और उनकी भक्ति की जाएगी। 27 जुलाई के दिन श्रावण मास भी शुरू हो गए है, चंद्रग्रहण भी है और गुरु पूर्णिमा भी है। सभी के जीवन में एक गुरु होता ही है और आपको एक गुरु मंत्र भी दिया जाता है जो व्यक्ति के जीवन में बहुत खास महत्व रखते हैं। गुरु पूर्णिमा के कुछ खास महत्व भी होते हैं जिन्हें आप जानते ही होंगे। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था जिसके उपलक्ष में हम इस दिन को खास बनाते हैं। गुरु पूर्णिमा पर गुरु की चरण पादुका को पूजने का भी काफी महत्व होता है।
ओशो ने बताया 'गुरु' का सही अर्थ
हर साल आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है जिसमें सभी अपने गुरुओं की आराधना करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने पूर्णिमा मनाई जाती है लेकिन आषाढ़ की पूर्णिमा खास होती है। इस दिन अनेक शास्त्रीय उपाय और सिद्धि को प्राप्त करने वाला दिन माना जाता है। इस दिन पर सभी अपने गुरुओं की पूजा तो करते ही हैं साथ ही खास तौर पर वेदव्यास जी को पूजते हैं जिन्हें चारों वेद का ज्ञान प्राप्त है। वेदव्यासजी को ब्रह्मज्ञानी यानी सबसे ज्ञानी के रूप में पूजा जाता है।
गुरु पूर्णिमा : वो गुरु जिन्होंने देवताओं को दिया ज्ञान
वहीं महान दार्शनिक ओशो के अनुसार गुरु का रथ अलग है। गुरु शब्द दो अक्षरों से बना है 'गु' और 'रु'। जी हाँ, उन्होंने बताया ये दोनों अक्षर संस्कृत से लिए गये हैं जिसमें 'गु' का अर्थ होता है 'अंधकार' और 'रु' का अर्थ होता है जो आपके जीवन से उस अंधकार को मिटाता है उसे गुरु कहा गया है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि 'गुरु है पूर्णिमा का चांद।'
गुरु पूर्णिमा के दिन आप कुछ 4 मंत्रों के जाप कर सकते हैं -
* ॐ गुरुभ्यो नम:।
* ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
* ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
* ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
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