गुरु पूर्णिमा त्यौहार हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों के लिए बेहद खास माना जाता है. हिंदुओं में यह त्यौहार विशेष तौर पर अपने शिक्षकों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. सनातन धर्म से गुरू शब्द की उत्पत्ति हुई है. जिसे आज के दौर में शिक्षक कहा जाता है. बता दे कि इस दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास के जन्म दिवस होने के कारण, गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. वही, बौद्ध धर्म के अनुयायी गौतम बुद्ध द्वारा सारनाथ में दिए गये पहिले उपदेश के सम्मान में गुरु पूर्णिमा पर्व मानते हैं. सदगुरु के अनुसार: गुरु पूर्णिमा वह दिवस है जब पहली बार आदियोगी अर्थात भगवान शिव ने सप्तऋषियों को योग का ज्ञान देकर खुद को आदि गुरु के रूप में स्थापित किया.
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हर विधार्थी की तरह भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के छात्र भी त्यौहार को बहुत उत्साह से मनाते है. हर छात्र इस पवित्र त्यौहार को बड़े धूम-धाम से मनाता है. स्कूली छात्र-छात्राएँ गुरु वंदना व उपहारों से अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं, तथा उनके ऋणी होने का एहसाह कराते हैं. जैन धर्म के अनुसार, यह दिन चौमासा अर्थात चार महीने के बरसात के मौसम की शुरुआत के रूप में और त्रीनोक गुहा पूर्णिमा के रूप में मानते हैं.
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क्योकि गुरू पुर्णिमा हर किसी के लिए विशेष है, इसलिए हम आपके लिए दो सबसे प्रचलित दोहे लेकर आए है, जिनको पढ़कर आप इस खास दिन को मना सकते है.
1. गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागु पाँव, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए॥
2. गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः .
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
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