आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि अगर जीवन में गुरु न हो तो जीवन का कोई अर्थ नहीं होता है. ऐसे में हम सभी इस बात को मानते हैं कि गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरु ही भगवान के बारे में बताते हैं. इसी के साथ भगवान की भक्ति का मार्ग दिखाते हैं. वहीं गुरु के बिना ज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. आप सभी को बता दें कि इसी वजह से हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. जी हाँ, वहीं इस दिन गुरु की पूजा का फल मिलता है और इस बार भी यह दिन आने वाला है. जी दरअसल इस बार गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व 5 जुलाई रविवार को मनाया जाएगा.
ऐसे में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व प्राचीन काल से मनाया जा रहा है. जी दरअसल धार्मिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में गुरुकुल में शिष्य इस दिन को बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाते थे. इस दिन गुरु की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता था. आप सभी को हम यह भी बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हो गया था और कृष्ण द्वैपायन व्यास संस्कृत के महान विद्वान माने जाते थे. केवल इतना ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 18 पुराणों का जिक्र है, जिनके रचयिता भी महर्षि वेदव्यास ही हैं. इसके अलावा वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी कृष्ण द्वैपायन व्यास जी को जाता है, जिस वजह से इनको वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता है. आप सभी नहीं जानते होंगे महर्षि वेदव्यास जी को आदिगुरु भी कहा जाता है, जिस वजह से गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 4 जुलाई 2020 को 11बजकर 33 मिनट से
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त - 5 जुलाई 2020 को 10 बजकर 13 मिनट पर
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