हर साल आने वाली गुरु पूर्णिमा इस साल 5 जुलाई को है. ऐसे में आप जानते ही होंगे गुरु पूर्णिमा को व्यास पूजा के नाम से भी जाना जाता है. जी दरअसल हम सभी यह मानते हैं 'किसी भी तरह का ज्ञान देने वाला गुरु कहलाता है, लेकिन तंत्र-मंत्र-अध्यात्म का ज्ञान देने वाले सद्गुरु कहलाते हैं जिनकी प्राप्ति पिछले जन्मों के कर्मों से ही होती है.' ऐसे में दीक्षा प्राप्ति जीवन की आधारशिला मानी जाती है और इससे मनुष्य को दिव्यता तथा चैतन्यता मिलती है. इसी के साथ ही व्यक्ति ऐसा करने से अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकता है. दीक्षा प्राप्ति से शिष्य सर्वदोषों से मुक्ति प्राप्त करता है.
इस वजह से कहते हैं- 'शीश कटाये गुरु मिले फिर भी सस्ता जान.'
गुरु का महत्व इस तरह कहा गया है- 'गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा:/गुरुर्सात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:.'
आइए आज जानते हैं दीक्षा के 8 प्रकार -
1. समय दीक्षा- आपको बता दें कि साधना पथ की ओर अग्रसर करना, विचार शुद्ध करना इसमें आता है.
2. ज्ञान दीक्षा- इसमें विचारों की शुद्धि करते हैं.
3. मार्ग दीक्षा- इसमें बीज मंत्र देते हैं.
4. शांभवी दीक्षा- इसमें गुरु, शिष्य की रक्षा का भार स्वयं ले लेते हैं जिससे साधना में अवरोध न हो.
5. चक्र जागरण दीक्षा- इसमें मूलाधार चक्र जागृत करते हैं.
6. विद्या दीक्षा- इसमें शिष्य को विशेष ज्ञान तथा सिद्धियां दी जाती है.
7. शिष्याभिषेक दीक्षा- इसमें तत्व, भोग, शांति निवृत्ति की पूर्णता करवाई जाती है.
8. पूर्णाभिषेक दीक्षा- इसमें गुरु अपनी सभी शक्तियां शिष्य को प्रदान करते हैं, जैसे स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को दी थीं.
क्या होता है गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शुरू हो चुका है जुलाई का महीना, यहाँ जानिए इस महीने के व्रत और त्यौहार