सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर की आज जयंती है। गुरु तेग बहादुर धर्म की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान करने देने वाले उच्च व्यक्तित्व थे। औरंगजेब ने उनको सिख धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म स्वीकार करने का दबाव डाला था। मगर गुरु तेग बहादुर जी उसके दबाव के आगे नहीं झुके। उन्होंने धर्म परिवर्तन की जगह शहादत को चुना। उन्होंने अपने सर्वोच्च बलिदान से सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का बड़ा संदेश दिया।
गुरु तेग बहादुर जी के अनमोल विचार:-
1. उनका कहना था कि व्यक्ति चाहे तो गलतियों को क्षमा कर सकता है, इसके लिए उसके अंदर उनको स्वीकार करने का साहस होना चाहिए।
2. उन्होंने कहा था कि हार और जीत आपकी सोच पर निर्भर करता है। आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही परिणाम आपको मिलता है।
3. उन्होंने बताया था कि एक सज्जन व्यक्ति वह होता है, जो कभी भी जाने या अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाता है।
4. उनका कहना था कि छोटे-छोटे कार्यों से ही महान कार्य बनते हैं।
5. हर प्राणि के लिए अपने मन में दया का भाव रखना चाहिए। घृणा और नफरत से केवल विनाश होता है।
गुरु तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह और माता का नाम नानकी था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर को बचपन में त्यागमल के नाम से बुलाते थे। गुरु तेग बहादुर जी बचपन से ही साहसी, विचारवान और दयालु थे। उन्होंने धर्म एवं ज्ञान के प्रचार-प्रसार लिए देशभर के कई जगहों पर यात्राएं कीं। उन्होंने समाज के कल्याण के लिए कई जगहों पर कुआं खुदवाया, धर्मशालाएं बनवाईं। उन्होंने समाज में चली आ रही रूढ़िवादी सोच तथा अंधविश्वास की आलोचना की। सामाजिक समरसता और जन कल्याणकारी कार्यों पर जोर दिया।
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