हबीब जालीब (Habib Jalib) एक प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर थे, जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर ध्यान दिया। उनका जन्म 24 मार्च, 1928 को भारतीय पंजाब के होशियारपुर जिले में हुआ था।
हबीब जालीब का जीवन प्रेरणादायक था। उनकी कविताएँ न्याय, स्वतंत्रता, और लोकतंत्र के प्रति उनके सम्मान और समर्थन का प्रतिबिम्ब थीं। उनकी कविताओं में दिल की गहराई से निकले शब्दों ने समाज में बदलाव को बढ़ावा दिया।हबीब जालीब के काव्य का प्रमुख विषय राजनीतिक और सामाजिक अधिकार, न्याय, और स्वतंत्रता था। उन्होंने उन्होंने पाकिस्तान की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों पर तल्ख़ टिप्पणी करती है ।
उन्होंने अपने काव्य में लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़े होकर उनके समर्थन का इजहार किया। उनके कविताओं में दलित, गरीब, और अन्य समाज के वंचित वर्गों के प्रति उनकी सहानुभूति दिखाई देती है ।
हबीब जलीब की कविताओं में उन्होंने पाकिस्तानी समाज में विभाजन, भ्रष्टाचार, और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लोगों को संविधान, न्याय, और स्वतंत्रता के महत्व को समझाया।
जालीब की कविताओं में बेरोजगारी समेत पाकिस्तान के समाज में व्याप्त की समस्याओं को उठाया गया, और उन्होंने सामाजिक न्याय और स्वतंत्रता के लिए लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
हबीब जलीब की कविताएँ पाकिस्तानी समाज में व्यापक उत्तराधिकारी आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से सामाजिक न्याय और स्वतंत्रता के लिए लोगों को प्रेरित किया।
हबीब जलीब की कविताएँ उनके समर्थकों के बीच बड़े पसंदीदा थीं। उनकी कविताएँ आज भी पाकिस्तानी समाज में महत्वपूर्ण हैं।
हबीब जलीब की कविताएँ उनके विरोधात्मक और साहसिक दृष्टिकोण को प्रकट करती हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में अन्याय, भ्रष्टाचार, और सामाजिक विभेद के खिलाफ विरोध जताया।
हबीब जलीब की कविताओं में उन्होंने लोगों को न्याय, स्वतंत्रता, और समाज के प्रति अपना समर्थन जताया। उनकी कविताओं में समाज की समस्याओं के प्रति उनका संवेदनशीलता और साहस प्रकट होता है।
हबीब जलीब का काव्य अभी भी लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें समाज के मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उनकी कविताएँ उनके विशेष शैली और साहित्यिक गुणों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
अंत में, हबीब जलीब एक अद्वितीय कवि थे, जिन्होंने अपने काव्य के माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक, मुद्दों पर आवाज उठाई। उनकी कविताओं में वे न्याय, स्वतंत्रता, और समाज के प्रति अपना समर्थन जताते थे, और उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए संदेश आज भी महत्वपूर्ण हैं। उनका योगदान साहित्य की दुनिया में अमूल्य है और उन्हें सम्मान की आवश्यकता है जो आज भी उनकी कविताओं को पढ़कर प्रेरित होते हैं।
उनकी चुनिंदा शायरी कुछ यु है
"बीस घराने हैं आबाद
और करोड़ों हैं नाशाद
सद्र अय्यूब ज़िंदाबाद
आज भी हम पर जारी है
काली सदियों की बेदाद
सद्र अय्यूब ज़िंदाबाद
अपनी ज़िंदगी के कई साल उन्होंने जेल में ही गुज़ारें. पूंजीवाद के बहुत बड़े हिमायती के रूप में उभरे अय्यूब ख़ान की नीतियों के विरोध में उन्होंने ये नज़्म लिखी,