जेनेवा: 7 अक्टूबर 2023 का दिन इजरायल के लिए एक दर्दनाक अध्याय बन गया, जब हमास आतंकियों ने सैकड़ों निर्दोष लोगों की हत्या कर दी और कई लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गए। बंधकों में एक नाम था एमित सौसाना का, जो उस दिन अपने घर पर आराम कर रही थीं, उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी कुछ ही पल में पूरी तरह बदल जाएगी।
गाजा से आई मिसाइलों ने पहले तो उनके घर को तबाह कर दिया और फिर आतंकियों ने घर में घुसकर उन्हें घसीटते हुए अपने साथ ले गए। गाजा पहुँचते ही उनके साथ बर्बरता की इंतिहा हो गई। यात्रा के दौरान ही उन पर हिंसा की गई, उनका यौन शोषण किया गया, और उनके प्राइवेट पार्ट्स को छूकर तड़पाया गया। लेकिन ये केवल शुरुआत थी।
Hamas Captivity Survivor Amit Soussana Testifies at UN Security Council
— Bring Them Home Now (@bringhomenow) October 23, 2024
"I urge you, It is your responsibility to protect human rights, to combat terrorism, and to bring those responsible for these heinous crimes to justice. The world is watching, waiting for the UN Security… pic.twitter.com/mtrzCXHVNH
गाजा में पहुंचने के बाद, उन्हें एक ऐसे आतंकी के हवाले कर दिया गया, जो एक राक्षसी जानवर जैसा दिखता था। एमित बताती हैं कि वह आतंकी बंदूक की नोक पर उनसे वीभत्सता की हर सीमा पार करता था। उनके पैर चेन से बांधे जाते थे, और वह आतंकी बार-बार उनकी शर्ट उठाता, उन्हें छूता, और अश्लील सवाल पूछता था। उसकी गंदी और नंगी मौजूदगी ने एमित को अंदर तक झकझोर दिया। वह कहती हैं कि उन्हें ये मालूम था कि वह आतंकी उनके साथ क्या करने वाला था, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थीं। बकौल एमित, “आतंकियों ने मेरे पैर चेन से बाँध दिए थे। आतंकी नंगा होकर मेरे बगल में बैठता था, फिर मेरी शर्ट उठाता था, मुझे लगातार निजी अंगों पर छूता रहता था और पूछता रहता था तुम्हारे पीरियड कब खत्म होंगे।”
इस हैवानियत के बावजूद, एमित को अपने आंसू छिपाने पड़े, दर्द में भी मुस्कुराना पड़ा, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं रोने पर यह हैवान उन्हें और भी ज्यादा प्रताड़ित न करे। लेकिन इसके बावजूद, उनकी पीड़ा खत्म नहीं हुई। कुछ समय बाद, उन्हें दूसरे आतंकियों के पास भेज दिया गया, जिन्होंने उन्हें और प्रताड़ित किया, मार-पीट की, रस्सी से बांधकर लटकाया और सुरंगों में रखा। एमित को हर पल अपनी जान का खतरा महसूस होता था, लेकिन एक उम्मीद थी कि वह पहली बार की बर्बरता से शायद बच चुकी थीं।
हाल ही में, एमित ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति के मंच पर खड़े होकर अपने दर्द को साझा किया। उन्होंने वह सब बताया, जो उनके साथ हुआ, क्योंकि वह चुप नहीं रहना चाहतीं थीं। उनका कहना है कि आज भी एक दिन ऐसा नहीं जाता जब वह उस आतंकी को याद नहीं करतीं। लेकिन अब वह आज़ाद हैं और वह आतंकी उन्हें और नुकसान नहीं पहुँचा सकता।
एमित ने यह कष्टदायक कहानी इसलिए साझा की क्योंकि कई अन्य बंधक अब भी गाजा में हैं। वह उनके लिए खड़ी हुईं और दुनिया को यह बताने का साहस दिखाया कि हमास के आतंकी जानवर से भी बदतर हैं। एमित की यह बहादुरी उन तमाम लोगों के लिए एक संदेश है, जो गाजा में बंधक बने हैं और उन बर्बरताओं का सामना कर रहे हैं, जिससे वे भी शायद गुजर चुकी हैं।
यह कहानी एमित की हिम्मत और साहस की है, जो इतनी भीषण यातना सहने के बाद भी दुनिया के सामने सच को बताने खड़ी हुईं, ताकि भविष्य में किसी और को यह दर्द न सहना पड़े। हालाँकि, ये शर्म की बात है कि भारत में कुछ लोग और वोट बैंक के लालची राजनेता ऐसे बर्बर आतंकियों/जिहादियों को स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं और उनकी तुलना माँ भारती के लिए बलिदान देने वाले चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे महापुरुषों से करते हैं।
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