नई दिल्ली: सजा ए मौत यानी फांसी ! विश्व के 50 से भी अधिक मुल्कों में दुर्दांत अपराधियों को मार डालने का कानून हैं. उन्हें उनके अपराधों की सजा के रूप में मौत दी जाती है. भारत में भी अब तक इसका प्रावधान है, लेकिन आगे रहेगा या नहीं इस पर चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, वर्ष 2017 में वकील ऋषि मल्होत्रा ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दाखिल की थी. जिसमे मांग की गई थी कि फांसी से मौत की सजा देना बेहद दर्दनाक होता है. इसमें तड़प-तड़प कर व्यक्ति की मौत होती है. इसकी जगह मौत की सजा देने के लिए कोई और सरल तरीका सोचना चाहिए.
आज मंगलवार (2 मई) को शीर्ष अदालत में इस याचिका पर सुनवाई हुई. इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि कि वो मौत की सजा पाने वाले दोषियों को फांसी के अतिरिक्त दूसरे तरीकों पर विचार करने के लिए एक्सपर्ट्स की एक समिति गठित करने पर विचार कर रही है. वकील ऋषि मल्होत्रा ने सरकार को अपनी याचिका पर कई तरीकों पर भी सुझाव दिया है. उन्होंने सजा-ए-मौत के कम दर्दनाक तरीके जैसे इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, करंट लगाने या गैस चैंबर का उपयोग करने का आग्रह किया है.
प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्त जेबी पादरीवाला की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की. केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी कोर्ट के सामने पेश हुए थे. उन्होंने बताया कि सरकार इस पर एक कमेटी का गठन करने को लेकर विचार कर रही है. उन्होंने बताया कि कमेटी में किन नामों को शामिल किया जाएगा, इस पर मंथन जारी है. कुछ दिनों बाद ही वो इस संबंध में जवाब दे पाएंगे. शीर्ष अदालत ने भी इसमें सहमति जाहिर करते हुए कहा कि समिति गठित होने की प्रक्रिया पर चर्चा चल रही है. अब गर्मी की छुट्टी के बाद सुनवाई की तारीख मुक़र्रर की जाएगी.
दुनियाभर में क्या है सजा-ए-मौत का तरीका?
बता दें कि, विश्व के 58 मुल्कों में सजा ए मौत के लिए फांसी दी जाती है. जबकि 73 देशों में गोली मारी जाती है. भारत समेत 33 देशों में केवल एक ही तरीके, फांसी के जरिए मौत की सजा दी जाती है. वहीं, विश्व के छह देशों में पत्थर मार-मारकर अपराधी को मौत के घाट उतारा जाता है, जो बेहद दर्दनाक है. 5 अन्य देशों में इंजेक्शन देकर अपराधी को मौत की नींद सुलाया जाता है. तीन देशों में तो सिर कलम करने का कानून है. बता दें कि, विश्व के करीब 97 देश फांसी की सजा को खत्म कर चुके हैं.
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