बहुत से लोगों ने रामयण पढ़ी है लेकिन आज भी सभी के मन में केवल एक हे सवाल है कि रामायण के बाद हनुमान जी कहाँ चले गए थे..? जी हाँ, अगर आपके मन में भी यह सवाल है और आपको इसका जवाब आज तक नहीं मिला है तो आइए हम आपको बताते हैं कि रामायण के बाद हनुमान जी का क्या हुआ और आज वह कहां है..?
सम्पूर्ण रामायण की कहानी - रामायण के बाद महाभारत में ही 2 बार हनुमान जी के होने की बात की गई है, पहली बार जब भीम जंगल में थे तो रास्ते में उन्हें एक बुजुर्ग वानर मिला और भीम ने उसे अपने रास्ते से हटने को कहा लेकिन उस वानर ने कहा कि तुम हटा दो मुझमें इतनी शक्ति नहीं रही तब भीम ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी पर उस वानर को हिला तक नहीं सके और तभी भीम समझ गए कि यह कोई साधारण वानर नहीं है फिर भीम की मांग पर उस वानर ने अपना असली रूप दिखाया तो वह हनुमान जी थे और उन्होंने भीम की शक्ति का घमंड तोड़ने के लिए वह सब किया था.
वहीं इसके बाद हनुमान जी अर्जुन के रथ पर उनका ध्वज बनकर पूरे महाभारत के युद्ध में उनकी रक्षा करते रहे जब अंत में हनुमान जी अपने असली रुप में आए और वहां से चले गए उसके बाद कुछ क्षणों में अर्जुन का रथ युद्ध में राख बन गया तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि वह हनुमान जी थे जिनकी वजह से रक्त युद्ध में नष्ट नहीं हुआ क्योंकि इतनी विध्वंसक अस्त्र किसी भी चीज को नष्ट कर सकते थे. वहीं दुनिया के कई हिस्सों में हनुमान जी को देखे जाने की बातें सामने आई है जिनमे चीन, इंडोनेशिया,कंबोडिया शामिल है.
कहा जाता है अफ्रीका से लेकर अमेरिका तक शक्तिशाली वानर होने की की बातें की जा चुकी है और चौदवी सदी में ऋषि माधवाचार्य ने भी हनुमान जी के साक्षात भेंट होने की बात की थी वहीं सतहरवी सदी में तुलसीदास ने भी माना था हनुमानजी ने ही उन्हें उन्हें रामायण का हिंदी अनुवाद करने को कहा इसके बाद और लोगों ने भी हनुमान जी को देखने और उनके होने का दावा किया जा चुका है. कई लोगों का कहना है कि हनुमान जी आज भी वहां पर आते हैं जहां पर सच्चे मन से श्री राम नाम लिया जाता है.
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