हनुमान जन्मोत्सव 16 अप्रैल को मनाई जा रही है। जी हाँ और आप सभी को बता दें कि संकटमोचन हनुमान जी के जीवन से जुड़े कई रहस्य हैं, जो लोगों को चौंकाते हैं। इसी में से एक रहस्य है, हनुमान जी के पुत्र से जुड़ा। जी हाँ, आप सभी को यह तो पता ही होगा कि बजरंगबली बाल्यकाल से ही ब्रह्मचारी हैं। ऐसे में सवाल यह आता है कि जब वे ब्रह्मचारी हैं, तो फिर उनका पुत्र कैसे हुआ? इस प्रश्न का जवाब वाल्मीकि रामायण की एक कथा में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि हनुमान जी का मकरध्वज नाम के एक पुत्र भी थे। अब आज हम आपको इसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार- माता सीता का पता लगाने के लिए जब हनुमान जी लंका आए थे, तो वे अशोक वाटिका पहुंचे। माता सीता से मिलने के बाद वे उपवन में जाकर फल खाने लगे। इस दौरान लंका के राजा रावण के सैनिकों से उनकी झड़प हुई, परिणाम स्वरूप मेघनाद ने उनको बंदी बनाकर दरबार में पेश किया। रावण ने हनुमान जी को सबक सिखाने के लिए उनकी पूंछ में आग लगवा दी और हनुमान जी ने उससे ही पूरी लंका को जला डाला। पूंछ में लगी आग के कारण हनुमान जी को जलन हो रही थी, इसलिए वे समुद्र में कूद गए। जब वे समुद्र में अपनी पूंछ की जलन को शांत कर रहे थे, तब उनके शरीर से पसीने की बूंद समुद्र मे गिरी और उसे एक मछली ने पी लिया। उस वजह से वह मछली गर्भवती हो गई।
पाताल लोक के राजा अहिरावण के सैनिकों ने एक दिन उस मछली को पकड़ लिया। उन्होंने जब उसके पेट को फाड़ा, तो उसमें एक शिशु था। उसका नाम मकरध्वज रखा गया था।बाद में अहिरावण ने मकरध्वज को पाताल लोक की सुरक्षा का जिम्मा सौंप दिया। लंका युद्ध के समय अहिरावण प्रभु राम और लक्ष्मण को बलि देने के लिए पाताल लोक लेकर आया था। तब हनुमान जी पाताल लोक आए और अहिरावण का संहार करके प्रभु राम एवं लक्ष्मण को मुक्त कराए।
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