हनुमान जी की कई ऐसी कथाएँ हैं जो आप सभी ने कभी शादी ही पढ़ी या सुनी होंगी। वैसे आप सभी ने आज तक हनुमान जी और राम जी की साथ की कई कथाओं के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको सीता मैया और हनुमान जी से जुडी एक कहानी बताने जा रहे है। यह ऐसी कहानी है जो शायद ही अपने सुनी होगी।
पौराणिक कथा- कहा जाता है भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद जब एक बार सीता मैया ने हनुमान जी से कहा की वो उन्हें अपने हाथ से कुछ बनाकर खिलाना चाहती है तो हनुमान जी बहुत खुश होकर कहा कि आपके हाथ से बना भोजन ग्रहण करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। उसके बाद सीता माता ने हनुमान जी के लिए ढेरो पकवान बनाये और उन्हें अपने हाथो से खाना परोसा। कहते हैं इस दौरान हनुमान जी के सामने सीता मैया जो भी परोसती वो एक-एक करके सब आराम से खा ले रहे थे हालाँकि सब कुछ खाने के बाद भी उनकी भूख नहीं मिट रही थी।
यह देखकर सीता माता को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वह बहुत परेशान हो गयी। उसके बाद वह अपने देवर लक्ष्मण जी के पास गईं। वहां जाते ही उन्होंने उनसे अपना सारा वृतांत बताया जिसके बाद लक्ष्मण जी ने कहा कि, 'माते, हनुमान जी की भूख कौन तृप्त कर सकता है वो तो स्वयं रूद्र के अवतार है और ऐसा कहते हुए उन्होंने एक तुलसी के पत्ते पर रामजी का नाम लिखकर खाने के थाली में रख दिया। जब सीता माता यह लेकर हनुमान जी के पास गईं तो हनुमान जी ने उसे खाया और खाने के बाद उनकी भूख मिट गयी। उसके बाद वह बाकी बचे हुए अन्न को अपने शरीर पर मलकर रामजी का नाम लेकर कीर्तन में लीन हो गए। बस इसी के बाद से हनुमान जी को भोग में तुलसी का पत्ता दिया जाता है ताकि खाने के बाद वह तृप्त हो जाएं।
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