अंजू का जन्म केरल में चंगनाश्शेरी के कोचूपरम्बिल परिवार में के।टी।मारकोस के घर हुआ। शुरूआत में उनके पिता ने उन्हें एथलेटिक्स सिखाया, आगे चलकर कोरूथोड स्कूल में उनके प्रशिक्षक ने एथेलेटिक्स में उनकी रूचि विकसित की। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सीकेएम कोरूथोड स्कूल से पूरी की और विमला कॉलेज से स्नातक किया। सन् 1991-92 में स्कूल एथलेटिक सम्मेलन में उन्होंने 100 मीटर बाधा व रिले दौड़ में जीत हासिल की और लंबी कूद व उंची कूद प्रतियोगिताओं में वह दूसरे स्थान पर रहीं, इस प्रकार वे महिलाओं की चैंपियन बनीं। अंजू की प्रतिभा को राष्ट्रीय स्कूल खेलों में सबने देखा जहां उन्होंने 100 मीटर बाधा दौड़ और 4x100 मीटर रिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया। वे कालीकट विश्वविद्यालय में थीं।
अंजू ने वर्ष 2003 में AIFF वर्ल्ड चैंपियनशिप में 6.70 मीटर की जंप के साथ ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया। वह इस टूर्नामेंट में मेडल जीतने वाली प्रथम भारतीय खिलाड़ी थीं। यह टूर्नामेंट उस वर्ष पेरिस में खेला गया था। हम बता दें कि वर्ष 2004 में एथेंस में हुए ओलिंपिक में मेडल के बहुत करीब आकर अंजू चूक गईं थी। उन्होंने उस वर्ष 6.83 मीटर का जंप किया था जो कि उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। हालांकि वह 5वें स्थान पर रहीं थी। यह भारत में आज भी नेशनल रिकॉर्ड है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अंजू को वर्ष 2003 में अर्जुन अवॉर्ड दिया गया था वहीं वर्ष 2004 में राजीव गांधी खेल रत्न दिया गया। वर्ष 2004 में उन्हें पद्दम श्री अवॉर्ड दिया गया था। उन्होंने वर्ष 2008 में ओलिंपिक में भाग लिया लेकिन फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं। अंजू अपनी सफलता का श्रेय पति और कोच बॉबी रोबार्ट्स को देती हैं। दोनों साईं केंद्र में पहली बार मिले थे और वर्ष 2002 में शादी कर ली थी। रॉबार्ट्स ने अंजू के खेल पर काम करते हुए बहुत सुधार किया जिससे वह इतिहास रच पाईं।
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